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इस बार भी दीवाली पर्व पर जमकर आतिशबाजी हुई और आतिशबाजी की वजह से वायु प्रदूषण बढ़ता गया। जिस वजह से शहर की आबोहवा पूरी तरह से खराब हो गई। हालांकि राहत की बात यह है कि पिछले साल की अपेक्षा दीवाली पर वायु प्रदूषण का स्तर इस बार कम रहा है। 

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जारी आंकड़ों के अनुसार हल्द्वानी में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई)  26 अक्टूबर को 99, 27 को 101, 28 को 100, 29 को 121, 30 को 132 और 31 अक्तूबर को 198‌ माइक्रोग्राम था। अब शनिवार को हल्द्वानी का एक्यूआई 185 पहुंचा है। एक दिन में 12 माइक्रो प्रति क्यूबिक कम हुआ है। पिछले साल दिवाली के दौरान 12 अक्टूबर को हल्द्वानी में एक्यूआई 215 माइक्रोग्राम तक पहुंच गया था।

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यही नहीं विगत वर्ष छह से 19 नवंबर तक हल्द्वानी में हवा की गुणवत्ता सही नहीं हो पायी थी। इस दौरान एक्यूआई हमेशा 100 माइक्रोग्राम से ज्यादा ही रहा।  इस बार भी जो प्रदूषण हुआ है वह लोगों के लिये काफी खतरनाक है। इस वजह से आंख में जलन और दमा के मरीजों की परेशानियां बढ़ने के मामले बढ़े हैं।

आतिशबाजी की वजह से नैनीताल में भी एक्यूआई में बढ़ोत्तरी हुई है, राहत की बात है यहां भी पिछले साल की अपेक्षा वायु प्रदूषण कम रहा है। दीवाली के दौरान नैनीताल का एक्यूआई 114 दर्ज किया गया है। पिछले साल 12 नवंबर को नैनीताल में एक्यूआई 163 माइक्रोग्राम तक पहुंचा था।

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माना जा रहा है कि हल्द्वानी और नैनीताल की आबोहवा को अभी सही होने में चार से पांच दिनों का समय लग जायेगा। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी अनुराग नेगी ने बताया कि अभी भी प्रदूषण का स्तर कम करना है। प्रदूषण शरीर के लिये अच्छा नहीं होता है। इसलिये कोशिश की जाये हर कोई प्रदूषण को कम करने में अपनी भूमिका निभाये।

नैनीताल जिले में 30 करोड़ की आतिशबाजी जलाई
दीवाली पर्व के दौरान इस बार पिछले साल की अपेक्षा कम आतिशबाजी की बिक्री हुई है। जिस वजह से वायुप्रदूषण भी कम रहा। नैनीताल जिले में करीब 30 करोड़ की आतिशबाजी की बिक्री होने का अनुमान है। पटाखा कारोबारी हेम चंद्र ने बताया कि इस बार दीवाली पर बिक्री कम रही है और लोगों का रूझान अब आतिशबाजी से कम होता दिख रहा है। अन्य पटाखा कारोबारियों ने बताया कि लोगों ने महंगे पटाखे खरीदने में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई है। जिस वजह से 1000 से 2000 रुपये के बीच में बिकने वाले स्काई शॉट्स की कम बिक्री हुई है। ज्यादातर लोगों की अनार, फुलझड़ी, चरखी, छोटे बम में ही रूचि रही।