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हल्द्वानी हिंसा भले ही क्षेत्रीय स्तर पर बनभुलपुरा इलाके तक सीमित रही हो, लेकिन इस पर राजनीति का आकार राष्ट्रव्यापी रहा. राजनीतिक दल इस घटना को आगामी लोकसभा चुनाव के समीकरणों से भी जोड़ रहे हैं. ऐसे में हिंसा का सबसे ज्यादा असर नैनीताल उधमसिंह नगर लोकसभा सीट पर पड़ता दिख रहा है. लिहाजा, उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में सबसे हॉट मानी जाने वाली नैनीताल उधमसिंह नगर सीट पर हल्द्वानी हिंसा कितना असर डालेगी?

हल्द्वानी के बनभुलपुरा इलाके में हिंसा अवैध कब्जे जुड़ी थी, लेकिन इसके राजनीतिक मायने भी निकाले जाने लगे. इतना ही नहीं मामले पर अब नफा नुकसान पर भी बहस शुरू हो गई. हालांकि, इस घटना से आगामी लोकसभा चुनाव में राष्ट्रव्यापी असर होने की बात कही जा रही है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर घटनास्थल क्षेत्र यानी नैनीताल उधमसिंह नगर लोकसभा सीट पर पड़ने की संभावना है. उधर, राजनीतिक दल इस सीट पर मौजूद 16% अल्पसंख्यक समाज के वोट का गणित लगा रहे हैं.

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हल्द्वानी हिंसा का असर: 

लोकसभा चुनाव के दौरान हल्द्वानी हिंसा अपना एक अहम किरदार अदा कर सकती है. चुनाव में वोटों के ध्रुवीकरण का गणित राजनीतिक दलों के समीकरण को बना या बिगाड़ भी सकता है. यह बात राजनीतिक दल भी जानते हैं और इसीलिए हल्द्वानी हिंसा पर हर बात तोलकर आगे बढ़ाई जा रही है. फिलहाल, राजनीतिक दलों को सबसे ज्यादा चिंता नैनीताल उधमसिंह नगर लोकसभा को लेकर है, जो सीधे तौर पर इस हिंसा से जुड़ी सीट है.

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नैनीताल उधमसिंह नगर लोकसभा सीट में करीब 19 लाख 10 हजार मतदाता हैं. जिसमें 16 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता और 14% दलित मतदाता हैं. ऐसे में हल्द्वानी हिंसा पर जहां एक तरफ कांग्रेस, बीजेपी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है तो पार्टी के नेता स्पष्ट तौर पर ये मानते हैं कि यह दो समुदायों के बीच की लड़ाई नहीं है. बल्कि, प्रशासन के फेल्योर के कारण हिंसा हुई है. कांग्रेस प्रदेश महामंत्री नवीन जोशी कहते हैं कि बीजेपी इस मामले पर राजनीति करना चाहती है और प्रशासन के फेल्योर को छुपाने की कोशिश की जा रही है.

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