खबर शेयर करें -

हल्द्वानी में भूजल का स्तर न्यूनतम लेवल तक पहुंच चुका है. जो चिंता का विषय है. ऐसे में भूजल और ट्यूबवेल पर निर्भरता कम करने के लिए फिल्टर प्लांट की क्षमता को बढ़ाने की कवायद की जा रही है. हल्द्वानी में चार फिल्ट हैं, जो कई दशक पुराने हैं. ऐसे में उनकी जगह नया फिल्टर प्लांट लगाया जाएगा.

कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी में भविष्य में पानी की गंभीर समस्या होने की आशंका है. लिहाजा, इस समस्या से पार पाने के लिए सरफेस वाटर पर जोर दिया जा रहा है. साथ ही ट्यूबवेल पर निर्भरता कम करने की कोशिश की जा रही है. ऐसे में लगातार कम होते ग्राउंड वाटर के मद्देनजर फिल्टर प्लांट की क्षमता को बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है. ऐसा इसलिए करना पड़ रहा है कि क्योंकि, बीते 10 सालों में हल्द्वानी शहर के अंदर जलस्तर अपनी न्यूनतम लेवल पर पहुंच चुका है.

यह भी पढ़ें -  UKSSSC परीक्षा रद्द होने पर बेरोजगार संघ ने जताया मुख्यमंत्री धामी का आभार, पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया का मिला भरोसा

हल्द्वानी जल संस्थान के अधीक्षण अभियंता विशाल सक्सेना का कहना कि चिंता इस बात की है कि आने वाले 10 से 12 सालों में ट्यूबवेल बिल्कुल सूख न जाएं. इसको देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि 50 एमएलड़ी पानी की सप्लाई सरफेस वाटर (Surface Water) से की जाएगी. लिहाजा, इसके लिए 15 एमएलडी का नया वाटर फिल्टर प्लांट तैयार किया जाएगा.

यह भी पढ़ें -  हल्द्वानी: मिलावटखोरों पर एफडीए का शिकंजा, दो क्विंटल लावारिस मिठाई बरामद, त्योहारों से पहले जिले में सख्त निगरानी

पुराने या जर्जर या फिर जो फिल्टर प्लांट अपनी आयु पूरी कर चुके हैं. उनकी जगह यानी फिल्टर नंबर 1 और 2 की जगह 30 से 40 एमएलडी का नया वाटर फिल्टर प्लांट तैयार किया जाएगा. तब जाकर कहीं 50 एमएलड़ी पानी की सप्लाई पूरी हो सकेगी. वर्तमान में फिल्टर नंबर 1 और 2 से 11-11 एमएलडी पानी की सप्लाई हो रही है. उनकी क्षमता 25 एमएलड़ी तक बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. बता दें कि हल्द्वानी में गौला नदी से पानी की सप्लाई की जा रही है.

यह भी पढ़ें -  🦠 रहस्यमयी बुखार से दहशत: उत्तराखंड में 15 दिन में 10 लोगों की मौत, अल्मोड़ा और हरिद्वार में बढ़ा खतरा

अधीक्षण अभियंता विशाल सक्सेना ने बताया कि शीशमहल स्थित 4 फिल्टर प्लांट 1965-1999 की अवधि में बने हैं. सबसे पहला फिल्टर प्लांट 1965, दूसरा 1975, तीसरा 1984 और 1999 बनाया गया है. इसके बाद कोई भी फिल्टर प्लांट नहीं बना है. ऐसे में नया फिल्टर प्लांट लगाना जरूरी हो गया है. ताकि, ट्यूबवेल पर निर्भरता कम हो सके.

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad