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चुनाव में कांग्रेस के चुनाव प्रबंधन को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत चिंतित हैं। सोशल मीडिया पर अपनी चिंता को साझा करते हुए उन्होंने पिछले चुनावों के अनुभवों को गिनाते हुए चुनाव प्रबंधन का महत्व समझाया।

साफ किया कि कप्तान को ही फ्रंट में रहकर नेतृत्व करते हुए उदाहरण पेश करना होगा।

 

कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के चुनाव लड़ने की इच्छा जताने पर हरीश रावत ने पिछले दिनों सुझाव दिया था कि यदि अध्यक्ष ही चुनाव लड़ते हैं, तो चुनाव प्रबंधन देखने को एक कार्यकारी अध्यक्ष की व्यवस्था करना बेहद जरूरी होगा। इस पर करन माहरा की भी प्रतिक्रिया आई थी।

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करन ने भी पुराने अनुभव गिनाते हुए हरीश रावत पर पलटवार किया था। इसी मामले को आगे बढ़ाते हुए सोमवार को हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर कहा कि इस बार का लोकसभा चुनाव बेहद कठिन और असाधारण परिस्थितियों में हो रहा है।

 

इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को राज्य और केंद्र की दोनों एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ा। 2019 में तत्कालीन अध्यक्ष की अपने चुनाव में व्यस्तता के कारण प्रबंधन बेहतर नहीं हो पाया। 2017 में असाधारण मोदी लहर में भी कांग्रेस वोट बैंक बचाने में सफल रही थी।

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आर्य, माहरा फ्रंट से नेतृत्व कर ही पेश करें उदाहरण’

हरीश रावत ने कहा कि सभी लोग अध्यक्ष करन महरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या के नेतृत्व में काम करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। किसी को भी उनके योगदान पर संदेह करने का अधिकार नहीं है। बढ़ती उम्र के साथ क्षमता जरूर सीमित हो जाती है।

 

पार्टी को चाहिए कि उनकी उपयोगिता व क्षमता का आकंलन कर ही उनसे अपेक्षा करें। वैसे भी क्रिकेट की भाषा में कोच और कप्तान को ही फ्रंट से नेतृत्व कर उदाहरण प्रस्तुत करना होता है।

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यशपाल को अल्मोड़ा से लड़ाया जाए चुनाव

हरीश रावत बोले की उनकी इच्छा है कि अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र से नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य चुनाव लड़ें। उनके न लड़ने की स्थिति में प्रदीप टम्टा एक स्वाभाविक दावेदार हैं। दोनों की विजय के लिए काम करना उनका धर्म है। मुझे उसकी याद दिलाने की किसी को भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

 

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