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 सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या योगी को यूपी से हटाने की बात का मुद्दा इतना बड़ा हो गया कि बीजेपी को यूपी में इतना बड़ा झटका लग गया. इसको लेकर सीएम केजरीवाल ने भी बयान दिया था.
 बीजेपी यूपी में 80 में से 80 सीटें जीतने का दावा कर रही थी.उस यूपी में बीजेपी की ऐसी हालत होगी, किसी ने सोचा नहीं होगा.

 सवाल उठ रहा है कि ऐसा क्या हुआ कि बीजेपी के सभी दावे और समीकरण यूपी में आकर आखिर फेल हो गए. दावों की मानें तो उत्तर प्रदेश में क्षत्रियों की नाराजगी बीजेपी पर भारी पड़ गई.

गुजरात में पुरुषोत्तम रुपला का क्षत्रियों पर कमेंट एक मुद्दा बना था. इसकी आंच यूपी तक महसूस की जा रही थी.इसी बीच गाजियाबाद से जनरल वीके सिंह का टिकट कटना भी ठाकुरों का लिए बड़ा मुद्दा बना.

एक अफवाह यह भी फैलाई गई थी कि अगर बीजेपी को देश में 400 सीटें मिल जाएंगी तो यूपी से योगी को बीजेपी हटा देगी, इसका मुद्दा भी दिल्ली सीएम केजरीवाल ने उठाया था. वहीं, पश्चिमी यूपी में राजपूतों ने सम्मेलन कर लोगों को कसम दिलाई कि बीजेपी को वोट नहीं करना है.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव, राहुल गांधी और मायावती तक ने क्षत्रिय समाज के मु्द्दे को चुनावी रैलियों में खूब उछाला. मुजफ्फरनगर में यह मुद्दा काफी गर्माया गया. संजीव बालियान और संगीत सोम का भी रिएक्शन बीजेपी को भारी पड़ गया.

एक सवाल ये भी उठ रहा है कि यूपी में इस बार क्या जातीय समीकरण ने काम किया है. जानकार कहते हैं कि हर बार की तरफ इस बार भी यूपी में जातीय समीकरणों ने ही काम किया.इसके लिए इंडिया गठबंधन ने पूरी तैयारी की थी.

भाजपा ने मनमुताबिक प्रत्याशियों को टिकट दिए, लेकिन इंडिया गठबंधन ने पूरा जाति फैक्टर खेला और उसी हिसाब से प्रत्याशी उतारे. वहीं, भाजपा ने 50 प्रतिशत से ज्यादा ठाकुरों का टिकट काट दिया. प्रतापगढ़ में राजा भइया को भी नजरअंदाज करना भाजपा को भारी पड़ गया.