Supreme Court News: बड़े पदों पर बैठे लोगों की ओर से अभिव्यक्ति के नाम पर कुछ भी अनाप-शनाप बोलने पर आज सुप्रीम कोर्ट बड़ा फैसला सुना सकता है. इस फैसले का असर देश की राजनीति पर भी पड़ने की उम्मीद जताई जा रही है.
क्या जिम्मेदार सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों को अभिव्यक्ति के नाम पर कुछ भी बोलने का अधिकार है? इस सवाल पर आज देश की सबसे बड़ी अदालत अपना फैसला सुना सकती है. जस्टिस एस ए नजीर (Justice SA Nazeer) की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने 15 नवंबर को इस बारे में सुनवाई पूरी कर ली थी. जस्टिस नजीर 4 जनवरी को सेवा से रिटायर हो रहे हैं. इसलिए माना जा रहा है कि उनकी रिटायरमेंट से पहले संविधान पीठ आज इस संबंध में बड़ा फैसला सुना सकती है.
कोर्ट सुनाएगी 2 अलग–अलग फैसले
जस्टिस नजीर (Justice SA Nazeer) की अध्यक्षता वाली इस पीठ में जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस ए एस बोपन्ना, जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम और जस्टिस बी वी नागरत्ना शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री की ओर से जारी की गई कार्य सूची के मुताबिक, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर दो अलग-अलग फैसले होंगे जो जस्टिस रामसुब्रमण्यम और जस्टिस नागरत्ना सुनाएंगे.
क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित?
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज इस बारे में अपना फैसला सुना सकती है कि क्या किसी सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति के बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर पाबंदी लगाई जा सकती है. इससे पहले सुनवाई पूरी करते हुए अदालत ने कहा था कि सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों को आत्म-संयम बरतना चाहिए और ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए जो अन्य देशवासियों के लिए अपमानजनक हों.
‘यह व्यवहार हमारी संस्कृति का हिस्सा‘
देश की शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा था कि यह व्यवहार हमारी संवैधानिक संस्कृति का हिस्सा है. इसके लिए सार्वजनिक पद पर बैठे लोगों के लिहाज से आचार संहिता बनाना जरूरी नहीं है. अगर सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर आज कोई गाइडलाइन जारी करती है तो तमाम मुद्दों पर अनाप-शनाप बयान जारी करने वाले नेताओं पर काफी हद तक लगाम लगना तय हो जाएगा.