साल 1987 में 24 जून को अर्जेंटीना के रोसारियो नामक जगह पर लियोनल मेसी का जन्म हुआ. अब मेसी ने अपने देश अर्जेंटीना को वह तोहफा दिया है, जिसका लोग सालों से इंतजार कर रहे थे. मेसी की कप्तानी में अर्जेंटीना ने 36 साल बाद फीफा वर्ल्ड कप का खिताब जीत लिया है. अर्जेंटीना का ये कुल तीसरा वर्ल्ड कप खिताब है. वर्ल्ड कप ट्रॉफी जीतते ही मेसी दिग्गज फुटबॉलर पेले और डिएगो माराडोना की कतार में शामिल हो गए हैं. उन्होंने ग्रेटेस्ट ऑफ द ऑल टाइम (GOAT) की बहस खत्म कर दी है. मेसी की कहानी किसी सपने से कम नहीं है. आइए जानते हैं, इसके बारे में.
बचपन में हो गई थी बीमारी
लियोनल मेसी बचपन से ही डिएगो माराडोना को अपना आदर्श मानते थे. माराडोना ने साल 1986 में अर्जेंटीना को अपने दम पर फीफा वर्ल्ड कप का खिताब दिलाया था. जब मेसी 11 साल के थे तब उन्हें ग्रोथ हार्मोन की बीमारी हुई थी. उनके परिवार के पास इतना पैसा नहीं था कि वो ढंग से इलाज करवा सकें. लेकिन ये बीमारी उनकी उड़ान को नहीं रोक पाई और उन्होंने फुटबॉल को खेलना जारी रखा. मेसी हाइट में छोटे थे, जिसकी वजह से उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ता था. लेकिन फुटबॉल के महान खिलाड़ी बनने में लंबाई उनके आड़े नहीं आई.
बार्सिलोना बना दूसरा घर
सिर्फ 17 की उम्र में ही लियोनल मेसी ने बार्सिलोना क्लब के लिए डेब्यू किया. इसके बाद उन्होंने बार्सिलोना क्लब के लिए जो किया वह इतिहास में दर्ज है. बार्सिलोना की तरफ वह लगभग सारे खिताब जीत चुके हैं. उन्होंने 22 साल की उम्र में पहला बलोन डिओर जीता. अगस्त 2021 में बार्सिलोना से विदा लेने से पहले वह क्लब फुटबॉल के लगभग तमाम रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके थे.
साल 2006 में किया डेब्यू
लियोनल मेसी ने वर्ल्ड कप में डेब्यू साल 2006 में जर्मनी में सर्बिया और मोंटेनीग्रो के खिलाफ ग्रुप मैच में किया जिसे देखने के लिए डिएगो माराडोना भी मैदान में मौजूद थे. 18 साल के मेसी 75वें मिनट में सब्स्टीट्यूट के तौर पर मैदान पर उतरे थे.
जर्मनी से फाइनल में मिली थी हार
बीजिंग ओलंपिक 2008 में अर्जेंटीना ने फुटबॉल का स्वर्ण पदक जीता तो 2010 वर्ल्ड कप में लियोनल मेसी से उम्मीदें बढ़ गईं. अर्जेंटीना को क्वार्टर फाइनल में जर्मनी ने हराया और पांच मैचों में मेसी एक भी गोल नहीं कर सके. 4 साल बाद ब्राजील में अकेले दम पर टीम को फाइनल में ले जाने वाले मेसी अपने आंसू नहीं रोक सके जब उनकी टीम एक गोल से हार गई.
इसके बाद 2018 में रूस में पहले नॉकआउट मैच में अर्जेंटीना को फ्रांस ने 4-3 से हरा दिया और 3 में से दो गोल मेसी के नाम थे.
आखिरी सपना हुआ पूरा
लियोनल मेसी ने साल 2006 में वर्ल्ड कप में डेब्यू करने के बाद से ही इसे जीतने का सपना देखा, जो साल 2022 में जाकर पूरा हुआ. फीफा वर्ल्ड कप 2022 में मेसी बहुत ही शानदार फॉर्म में थे. वह अपने दम पर अर्जेंटीना को फाइनल में ले गए. फाइनल में अर्जेंटीना के सभी प्लेयर्स सिर्फ मेसी के लिए ये ट्रॉफी जीतना चाहते थे.
सांसे थाम देने वाला फाइनल मुकाबला
फाइनल मैच में फ्रांस के खिलाफ पेनल्टी के जरिए लियोनल मेसी ने अर्जेंटीना को बढ़त दिलाई. इसके चंद मिनट बाद ही एंजेल डि मारिया ने एक और तूफानी गोल करके टीम को 2-0 से आगे कर दिया. लग रहा था अर्जेंटीना आसानी से मैच जीत जाएगी, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. अगर अर्जेंटीना टीम आसानी से मैच जीत जाती, तो यह ऐतिहासिक फाइनल नहीं बन पाता.
मैच के 80वें मिनट में फ्रांस के किलियन एम्बाप्पे ने लगातार दो गोल करके स्कोर बराबर कर दिया. वह वर्ल्ड कप और अर्जेंटीना के बीच सबसे बड़ी दीवार बन गए. लेकिन फिर एक्सट्रा टाइम में मेसी का मैजिक दुनिया के देखने को मिला और उन्होंने कई प्लेयर्स को छकाते हुए शानदार गोल किया. पेनल्टी शूटआउट में अर्जेंटीना ने फ्रांस को 4-2 से हराकर तीसरी बार फीफा वर्ल्ड कप का खिताब जीत लिया.
खत्म कर दी GOAT की बहस
लियोनल मेसी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो के बीच हमेशा से ही तुलना होती है. रोनाल्डो भले ही महान खिलाड़ी हो, लेकिन वह अपने देश के लिए वर्ल्ड कप नहीं जीत पाए हैं. जबकि मेसी ने वर्ल्ड कप 2022 में कुल 7 गोल किए, जिसमें फाइनल में किए गए 2 गोल शामिल है. वर्ल्ड कप में वह 2 बार गोल्डन बॉल जीतने वाले पहले खिलाड़ी हैं. मेसी ने वर्ल्ड कप जीतते ही सारी बहस पर विराम लगा दिया है. वह ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम बन गए हैं.
मेसी जब गेंद को लेकर आगे बढ़ते हैं, तो उन्हें देखना आंखों के सुकून देता है. अब वह दिग्गज पेले और डिएगो माराडोना की लिस्ट में शामिल हो गए हैं और वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास की जीवित किवदंती बन गए हैं.