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जोशीमठ के डेढ़ किलोमीटर भूधंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है। भूधंसाव का अध्ययन करके आई विशेषज्ञ समिति ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है। वहीं यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। बिगड़ते हालात के बीच पीएमओ कार्यालय ने अहम बैठक बुलाई है

उत्तराखंड के जोशीमठ में लगातार हो रहे भू-धंसाव ने चिंता बढ़ा दी है। घरों पर दरारें आने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। वहीं सीएम धामी ने आज पीएम मोदी को फोन पर जोशीमठ के ताजा हालात के बारे में बताया। सीएम धामी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने जोशीमठ के संदर्भ में दूरभाष के माध्यम से वार्ता कर प्रभावित नगरवासियों की सुरक्षा व पुनर्वास के लिए उठाए गए कदमों एवं समस्या के समाधान के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक कार्य योजना की प्रगति के विषय में जानकारी ली।

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वहीं, सीमा प्रबंधन सचिव और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य सोमवार को उत्तराखंड का दौरा करेंगे और जोशीमठ की स्थिति का जायजा लेंगे।

बता दें, लगातार धंसते जा रहे जोशीमठ को बचाने के लिए अब पूरी सरकारी मशीनरी सक्रिय है। टीम निरीक्षण कर रही है। टीम के साथ पहुंचे गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार ने अमर उजाला से विशेष बातचीत की। उन्होंने इस बात को स्वीकारा कि स्थिति गंभीर है और तेजी से काम करने की जरूरत है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस नेता हरीश रावत भी जोशीमठ का दौरा करने जाएंगे।

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जोशीमठ के डेढ़ किलोमीटर भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है। भू-धंसाव का अध्ययन करके आई विशेषज्ञ समिति ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है। समिति ने ऐसे भवनों को गिराए जाने की सिफारिश की है, जो पूरी तरह से असुरक्षित हैं। प्रभावित परिवारों के लिए फेब्रिकेटेड घर बनाए जाएंगे।

समिति की प्रमुख सिफारिशें

  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी को जोशीमठ में रिस रहे पानी की जांच करने का जिम्मा दिया गया है। वह पानी के मूल स्रोत का पता लगाएगा।
  • जोशीमठ की वहन क्षमता का तकनीकी अध्ययन होगा। आईआईटी रुड़की इसके लिए अपनी टीम अध्ययन के लिए भेजेगा। टीम पता लगाएगी कि वास्तव में नगर की वहन क्षमता कितनी होनी चाहिए?
  • वहां मिट्टी की पकड़, भूक्षरण को जानने के लिए विस्तृत भू तकनीकी जांच होगी। जरूरत पड़ने पर नींव की रेट्रोफिटिंग का भी अध्ययन होगा। यह काम आईआईटी रुड़की करेगा।
  • समिति का मानना है कि जियो फिजिकल स्टडी का नेचर जानना जरूरी है, यह काम वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान को दिया जाएगा।
  • वहां हो रहे भू-कंपन की रियल टाइम मानीटरिंग होगी। इसके लिए वहां सेंसर लगाए जाएंगे। हिमालय भू विज्ञान संस्थान यह काम करेगा।
  • असुरक्षित भवनों से शिफ्ट किए गए प्रभावितों के लिए स्थायी शिविर तैयार होंगे। स्थायी शिविर तैयार करने का जिम्मा सीबीआरआई को दिया जाएगा।
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