खबर शेयर करें -

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के ही अनुभाग अधिकारी ने पत्नी के साथ मिलकर पटवारी-लेखपाल भर्ती परीक्षा के 380 सवाल बेच दिए। 36 अभ्यर्थियों को पेपर हल कराया गया। 12 फरवरी को अब दोबारा पटवारी भर्ती परीक्षा होगी। वहीं इस दिन होने वाली सहायक लेखाकार परीक्षा अब 19 फरवरी को होगी। एसटीएफ ने मामले का खुलासा किया, नौकरियों का सौदागर चतुर्वेदी चार साल से भर्तियों में खेल कर रहा था। एसटीएफ की गिरफ्त में आते ही संजीव चतुर्वेदी ने अपने सारे काले कारनामे तोते की तरह उगल दिए।बताया कि उसने सिर्फ यही पेपर लीक नहीं कराया था बल्कि यह काम तो वह बीते चार साल से करता आ रहा है।

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की आठ जनवरी को हुई पटवारी-लेखपाल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हो गया। पेपर आयोग के ही अति गोपन विभाग के अनुभाग अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने पत्नी के साथ मिलकर लीक कराया। एसटीएफ ने अनुभाग अधिकारी, पत्नी समेत पांच को गिरफ्तार कर लिया है। उनके पास से परीक्षा सामग्री और 41.50 लाख रुपये बरामद हुए हैं।

आयोग ने आरोपी अनुभाग अधिकारी को निलंबित करते हुए पटवारी भर्ती परीक्षा रद्द कर दी है। अब यह परीक्षा 12 फरवरी को दोबारा होगी। एसटीएफ ने बृहस्पतिवार को पटवारी-लेखपाल भर्ती के पेपर लीक का खुलासा किया। एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि परीक्षा के दो दिन बाद पेपर लीक होने की सूचना मिली थी, जिस पर एसटीएफ की चार टीमें बनाकर हरिद्वार और आसपास के क्षेत्रों में रवाना की गई। शुरुआती पड़ताल में आयोग के ही एक कर्मचारी का हाथ सामने आ रहा था। एक अभ्यर्थी ने आयोग के अनुभाग अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के नाम का खुलासा किया।

एसटीएफ ने इसकी गहराई पड़ताल कर उसे हिरासत में ले लिया था। उससे पूछताछ के बाद पता चला कि अनुभाग अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने अति गोपन कार्यालय से पेपर का मोबाइल से फोटो खींचने के बाद पत्नी रितु को उपलब्ध कराया। इसके बाद रितु ने इस पेपर को राजपाल को दिया। राजपाल ने अपने अन्य लोगों के साथ मिलकर अभ्यर्थियों तक पेपर पहुंचाया और दो फॉर्म हाउस (बिहारीगढ़ व लक्सर) में हल करवाया।

पूछताछ के आधार पर एसटीएफ ने संजीव चतुर्वेदी के साथी राजपाल, संजीव कुमार, रामकुमार को गिरफ्तार कर लिया। खबर लिखे जाने तक मामले में एसटीएफ आरोपियों से प्रश्न पत्रों के अलावा 41 लाख 50 हजार रुपये बरामद कर चुकी थी। देर शाम एसटीएफ ने संजीव चतुर्वेदी की पत्नी रितु को भी गिरफ्तार कर लिया। मामले में हरिद्वार के कनखल थाने में आईपीसी 409, 420, 467, 468, 471, 120-बी और उत्तर प्रदेश उत्तराखंड सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) निवारण अधिनियम 1998 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है।

यह भी पढ़ें -  दिल्ली-मुंबई जाने वालों के लिए गुड न्यूज, लालकुंआ से इस दिन शुरू होगी एक और ट्रेन

अनुभाग अधिकारी सस्पेंड, परीक्षा रद्द

सूचना मिलने के बाद राज्य लोक सेवा आयोग के सचिव गिरधारी सिंह रावत ने अनुभाग अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को सस्पेंड कर दिया। उन्हें सचिव कार्यालय में संबद्ध किया गया है। साथ ही आयोग ने आठ जनवरी को हुई पटवारी-लेखपाल परीक्षा रद्द कर दी है। अब यह परीक्षा दोबारा 12 फरवरी को होगी। 12 फरवरी को प्रस्तावित सहायक लेखाकार परीक्षा अब 19 फरवरी को आयोजित कराई जाएगी।

1.14 लाख ने दी थी पटवारी-लेखपाल परीक्षा
आयोग की आठ जनवरी को हुई पटवारी लेखपाल परीक्षा के लिए 1,58,210 अभ्यर्थी पंजीकृत थे। इनमें से 1,14,071 ने परीक्षा दी थी। यह परीक्षा आयोग ने प्रदेश में 498 केंद्रों पर कराई थी।

ये हुए गिरफ्तार
– संजीव चतुर्वेदी, आयोग अनुभाग अधिकारी, मूल निवासी बलिया, उत्तर प्रदेश
– रितु पत्नी संजीव चतुर्वेदी, आयोग आवास, हरिद्वार
– राजपाल व संजीव कुमार निवासी ग्राम कुलचंदपुर उर्फ नथौड़ी, थाना गागलहेड़ी, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश
– रामकुमार पुत्र सुग्गन सिंह निवासी ग्राम सेठपुर लक्सर हरिद्वार

अब तक 41 लाख 50 हजार बरामद
संजीव चतुर्वेदी – 22 लाख 50 हजार रुपये
राजपाल – 10 लाख रुपये, पेपर के प्रश्नों की कॉपी
संजीव – आठ लाख रुपये, अभ्यर्थियों के दस्तावेज, चेक, प्रश्नों की कॉपी
राजकुमार – एक लाख रुपये, परीक्षा के प्रश्नों की कॉपी

 

परीक्षाएं कैलेंडर के हिसाब से ही होंगी
आयोग के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने कहा कि पटवारी लेखपाल भर्ती 12 फरवरी को कराने के साथ केवल सहायक लेखाकार परीक्षा को आगे बढ़ाया गया है। बाकी भर्तियों की परीक्षा परीक्षा कैलेंडर के हिसाब से ही होंगी।

नौकरियों का सौदागर चतुर्वेदी चार साल से भर्तियों में खेल कर रहा था। एसटीएफ की गिरफ्त में आते ही संजीव चतुर्वेदी ने अपने सारे काले कारनामे तोते की तरह उगल दिए।बताया कि उसने सिर्फ यही पेपर लीक नहीं कराया था बल्कि यह काम तो वह बीते चार साल से करता आ रहा है।

नौकरियों का सौदागर संजीव चतुर्वेदी उत्तराखंड लोकसेवा आयोग में रहकर वर्ष 2018 से भर्तियों में खेल करता आ रहा है। एसटीएफ की जांच में लेखपाल-पटवारी भर्ती के अलावा तीन अन्य भर्तियों के पेपर लीक कर बेचने की पुष्टि हो चुकी है। इनमें जेई, एई और प्रवक्ता भर्तियां शामिल हैं। इनके पेपर के लिए संजीव ने 30 से 50 लाख रुपये प्रति अभ्यर्थी लिए हैं। एसटीएफ इन भर्तियों में हुए खेल का भी जल्द खुलासा कर सकती है।

यह भी पढ़ें -  रुद्रपुर: पिता ने किया पुत्री के साथ दुष्कर्म, गिरफ्तार

अधिकारिक सूत्रों के अनुसार, एसटीएफ की गिरफ्त में आते ही संजीव चतुर्वेदी ने अपने सारे काले कारनामे तोते की तरह उगल दिए। बताया कि उसने सिर्फ यही पेपर लीक नहीं कराया था बल्कि यह काम तो वह बीते चार साल से करता आ रहा है। जितना उसे याद था, उसमें से उसने तीन भर्तियों के नाम लिए। इनमें अवर अभियंता (जेई), सहायक अभियंता (एई) और प्रवक्ता भर्ती शामिल है।

ये भर्तियां आयोग ने वर्ष 2021 में निकाली थीं। इनके रिजल्ट आ चुके हैं।एसटीएफ की शुरुआती जांच में पता चला है कि इन भर्तियों के पेपर उसने बड़े दाम लेकर आउट किए थे। इनमें एई के पेपर के लिए 50 लाख रुपये प्रति अभ्यर्थी लिए गए। जबकि, जेई और प्रवक्ता के लिए प्रति अभ्यर्थी 30 से 35 लाख रुपये वसूल किए। एसटीएफ अब इन अभ्यर्थियों तक भी पहुंचने का प्रयास कर रही है। बताया जा रहा है कि इन भर्तियों में शामिल हुए नकलची अभ्यर्थियों के रिजल्ट भी रद्द करा दिए जाएंगे। साथ ही एसटीएफ इन सभी को भी मुल्जिम बना सकती है।

कितने अभ्यर्थी किस परीक्षा में

एसटीएफ ने अब तक अभ्यर्थियों की संख्या की भी तस्दीक कर ली है। जेई भर्ती में तीन अभ्यर्थियों ने पेपर खरीदकर परीक्षा दी थी। जबकि, एई के लिए पांच अभ्यर्थियों ने पेपर खरीदा था। प्रवक्ता पद के लिए अब तक एसटीएफ तीन अभ्यर्थियों के नामों की पुष्टि कर चुकी है। बताया जा रहा है कि इनकी संख्या और भी हो सकती है। यदि संख्या ज्यादा हुई तो एसटीएफ इन परीक्षाओं को रद्द करने के लिए भी पत्र भेज सकती है। अभी तक केवल 2021 में तीन भर्तियों पर दाग का पता चला है। सूत्रों के अनुसार, अभी आरोपियों से पूछताछ चल रही है। ऐसे में हो सकता है कि कुछ और परीक्षाओं पर भी इसी तरह से दाग हों। ऐसे में 2018 से अब तक की सभी परीक्षाओं की जांच भी की जा रही है। एसटीएफ इसके लिए आयोग के अधिकारियों से संपर्क कर सभी का विवरण जुटा रही है। प्रतियोगी परीक्षा को नकल माफिया से बचाने के लिए लोक सेवा आयोग ने जो कवच तैयार किया, उसे घर के भेदी ने भेद डाला। पिछले साल मई में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) की स्नातक स्तरीय परीक्षा का पेपर लीक प्रकरण का मुकदमा दर्ज होने के बाद सिलसिलेवार भर्तियों में पेपर लीक होने की कारस्तानियां सामने आने लगी। बेरोजगारों का भरोसा इस आयोग से उठ गया। सरकार ने सबसे भरोसेमंद उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को समूह-ग की 23 भर्तियां सौंप दी लेकिन यहां भी पेपर लीक होने के बाद भरोसे की दीवार टूट गई और आयोग की निष्ठा में दरार आ गई। यूकेएसएसएससी की समूह-ग भर्तियों के पेपर लीक होने के बाद सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती नौकरी के अवसरों को जारी रखने की थी। पिछले वर्ष सितंबर में सरकार ने समूह-ग की 23 भर्तियां राज्य लोक सेवा आयोग को सौंप दी। इसी महीने आयोग ने इन भर्तियों का विशेष कैलेंडर जारी कर दिया, जिसमें बताया गया कि कौन सी भर्ती का विज्ञापन कब निकलेगा और परीक्षा कब होगी। सरकार को इस बात पर फख्र था कि राज्य लोक सेवा आयोग की एक भी भर्ती का पेपर आज तक लीक नहीं हुआ है।

यह भी पढ़ें -  खटीमा: छात्र संघ चुनाव प्रचार को लेकर दो गुट आपस में भिड़े

निष्ठा ही दांव पर लग गई

नई समूह-ग भर्तियों के पेपर को सुरक्षित रखने के लिए इलेक्शन मोड में परीक्षा, पुलिस की मुस्तैदी, आयोग की सजगता के जो दावे किए गए, वह सभी पटवारी-लेखपाल भर्ती परीक्षा के पेपर लीक के साथ हवा हो गए। जिस आयोग के पास प्रदेश की पीसीएस, लोवर पीसीएस, इंजीनियरिंग सर्विस जैसी महत्वपूर्ण परीक्षाएं बेदाग कराने का अनुभव हो, उसकी निष्ठा ही दांव पर लग गई। छवि तार-तार हो गई।
अब सरकार और आयोग के सामने सबसे बड़ी चुनौती साख को बचाना है ताकि बेरोजगारों का टूटता भरोसा वापस पाया जा सके। आयोग के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने एक पत्र जारी कर कहा है कि परीक्षाओं को उत्कृष्टता, निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ कराने के लिए आयोग सजग रहा है। इसके लिए उन्होंने खुद डीजीपी को अगस्त माह में चिट्ठी भेजकर एलआईयू को गोपनीय तौर पर आयोग परिसर में तैनात कराने के साथ ही परीक्षा केंद्रों पर पर्याप्त सुरक्षा बल की भी मांग की थी।

 

You missed