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गांव की महिलाएं कहती हैं की वोट के लिए गांव पहुंचने वाले नेताओं से स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल जरुर पूछे जाएंगे। वहीं ग्रामीण विकास करने वाले को ही वोट देने की बात करते हैं। मूलभूत जरुरतों के लिए तक संघर्ष करने वाले गांव के बाशिंदे लोकतंत्र के पर्व पर मत का अधिकार कर अपनी जिम्मेदारी निभाने का दावा भी कर रहे हैं।

समय दिन के दो बजकर 10 मिनट। बेतालघाट ब्लाक का छड़ा गांव। लोकसभा चुनाव के हो-हल्ले के बीच गांव में शांति ही छाई हुई है। न कहीं पंफलेट दिख रहे हैं और न ही कहीं चुनावी नारों का शोर। यहां तक कि गांव के युवा हों या फिर बुजुर्ग व महिला, किसी भी पार्टी के प्रत्याशी के प्रचार में नहीं दिख रहे हैं।

गांव में प्रवेश करते ही प्याज के खेत में काम करते हुए जानकी बिष्ट नजर आती हैं। चुनावी मुद्दे को लेकर जब उनसे पूछा जाता है तो कहने लगती हैं, भैया गांव में अभी विकास ही कितना हुआ है। इलाज के लिए हमें दूर ही जाना पड़ता है और बच्चों के लिए स्कूल की अच्छी सुविधा भी नहीं है। गांव में प्रचार करने के सवाल पर कहने लगती हैं, प्रचार हम किसका करने जाएं लेकिन वोट देने तो जरूर जाएंगे। जानकी इतना कहते हुए अपने काम में जुट जाती है।

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सबसे बड़ी समस्या जंगली जानवरों की

आगे बढ़ते ही व्यक्ति सुरेश से मुलाकात होती है। वह शहर की तरह जा रहे होते हैं। चुनाव को लेकर गांव में चल रही हलचल के बारे में पूछने पर कहते हैं, हमारी तो सबसे बड़ी समस्या जंगली जानवरों की है। खेती चौपट कर रहे हैं। इसका ठोस समाधान की हम मांग करते हैं। कहते हैं कि अभी गांव में चुनाव को लेकर सामान्य चर्चा है लेकिन प्रचार अभी कम ही है।

ग्रामीण को उम्मीद है कि पंपिग सिंचाई योजना का कार्य चल रहा है। इससे उन्हें सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल जाएगा। सीएचसी गरमपानी में स्त्री रोग विशेषज्ञ न होने से गांव की महिलाओं के मन में भारी गुस्सा भी है।

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मूलभूत जरुरतों के लिए तक संघर्ष करने वाले गांव के बाशिंदे लोकतंत्र के पर्व पर मत का अधिकार कर अपनी जिम्मेदारी निभाने का दावा भी कर रहे हैं। गांव की महिलाएं कहती हैं की वोट के लिए गांव पहुंचने वाले नेताओं से स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल जरुर पूछे जाएंगे। वहीं ग्रामीण विकास करने वाले को ही वोट देने की बात करते हैं।

गरमपानी अस्पताल में इलाज को जाना होता है। कई वर्षों से स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं है। मजबूरी में शहरी क्षेत्रों में स्थित निजी अस्पतालों को रुख करना पड़ता है। वोट लेने वालों से इस मुद्दे पर सवाल जरुर पूछा जाएगा। – चंपा बिष्ट, गृहणी छड़ा गांव

जंगली जानवरों खेतो को बर्बाद कर दे रहे हैं। हालांकि कुछ हिस्से में तारबाड़ हो चुकी है। उम्मीद है की भविष्य में और ठोस उपाय किए जाएंगे। मतदान करने अवश्य जाएंगे। फिलहाल अभी तक किसी भी दल का कोई भी प्रत्याशी गांव नहीं पहुंचा है।- मुन्नी देवी, महिला किसान, छड़ा गांव

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मतदान जरुर करेंगे पर बाजार क्षेत्र में सफाई व्यवस्था बड़ी परेशानी है। एक भी पर्यावरण मित्र की तैनाती न होने पर कूड़ा निस्तारण को ठोस उपाय न होने से परेशानी बढ़ जा रही है। चुनाव में जीत व हार होती है। पर जनसमस्याओं के समाधान को मिलकर प्रयास करना चाहिए। – बालम सिंह, व्यापारी, छड़ा बाजार

चुनाव के बाद कोई नेता दिखाई ही नहीं देता। चुनाव के वक्त दावों की झड़ी लग जाती है। कोई जीते या कोई हारे। समस्याओं के समाधान को एकजुट होकर गंभीरता से काम करना चाहिए। वोट के लिए गांव पहुंचने वाले नेताओं से कई सवाल पूछने है। –तारा बिष्ट, छड़ा गांव

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