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सीनियर सिटीजन के कल्याण के लिए केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2007 में सीनियर सिटीजन मेंटेनेंस वेलफेयर एक्ट बनाया गया तथा इसे हर राज्य में लागू करने का भी आदेश दिया गया इस एक्ट का उद्देश्य वृद्धजनों को होने वाली समस्याओं का प्रभावी निस्तारण करना था

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सीनियर सिटीजन के कल्याण के लिए केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2007 में सीनियर सिटीजन मेंटेनेंस वेलफेयर एक्ट बनाया गया तथा इसे हर राज्य में लागू करने का भी आदेश दिया गया इस एक्ट का उद्देश्य वृद्धजनों को होने वाली समस्याओं का प्रभावी निस्तारण करना था इस एक्ट के संदर्भ में वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता तथा आरटीआई एक्टिविस्ट नानक चंद लोहिया बताते हैं कि इसके तहत जिला स्तर पर एक उप जिलाधिकारी स्तर के अधिकारी की वेलफेयर ऑफिसर के तहत नियुक्ति की जानी थी जिनका काम सीनियर सिटीजन की समस्याओं को सुनना और उनका निस्तारण करना था ताकि सीनियर सिटीजन को अपनी ज्वलंत समस्याओं के लिए इधर उधर ना भटकना पढ़े और ना ही

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लंबा इंतजार करना पड़े यह नियम लागू हुआ लेकिन इस पर विसंगति यह आई कि प्रत्येक एसडीएम को सीनियर सिटीजन मेंटेनेंस वेलफेयर एक्ट के तहत उनके समस्याओं को सुनने के लिए अधिकृत कर दिया गया इस पर परेशानी आई कि जो सीनियर सिटीजन अपनी समस्या को लेकर के संबंधित उप जिलाधिकारी के पास जाते हैं.

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उप जिलाधिकारी के पास इतने कार्य होते हैं कि वह सीनियर सिटीजन को अलग से नहीं सुन पाते हैं सीनियर सिटीजन बार-बार चक्कर काटते हैं और उनकी मुलाकात अधिकारी से नहीं हो पाती है जब मुलाकात ही नहीं हो पाएगी तो समाधान कैसे होगा समझा जा सकता है इस संदर्भ में 2019 में हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर हुई.

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हरिद्वार निवासी कैलाश शर्मा द्वारा दायर याचिका में हाई कोर्ट द्वारा मामले को संज्ञान में लेते हुए सीनियर सिटीजन के लिए अलग से एसडीएम स्तर के अधिकारी की नियुक्ति करने को कहा गया लेकिन 4 वर्ष बीत जाने के बाद भी यह प्रक्रिया मुकाम पर नहीं पहुंच पाई है ऐसे में सीनियर सिटीजन वेलफेयर एक्ट 2007 अपने मूल उद्देश्य पर खरा नहीं उतर पा रहा है.

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