कांग्रेस (Congress) नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) आज (रविवार को) शिमला में हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के सीएम के तौर पर शपथ लेंगे. सीएम बनने की रेस में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) की पत्नी और हिमाचल कांग्रेस चीफ प्रतिभा सिंह (Pratibha Singh), मुकेश अग्निहोत्री व कई दिग्गज कांग्रेस नेता थे. लेकिन आलाकमान ने सुखविंदर सिंह सुक्खू के नाम पर मुहर लगाई और उन्हें हिमाचल प्रदेश की कमान सौंप दी. अब सवाल उठता है कि वीरभद्र सिंह की इतनी बड़ी विरासत संभालने वाली उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह और अन्य नेताओं को सुखविंदर सिंह सुक्खू के आगे दरकिनार क्यों किया गया, आइए इसके बारे में जानते हैं.
कौन हैं सुखविंदर सिंह सुक्खू?
बता दें कि सुखविंदर सिंह सुक्खू कांग्रेस पार्टी के वफादार कार्यकर्ता हैं. वह काफी लंबे वक्त से पार्टी से जुड़े हुए हैं. सुक्खू साल 1998 से 2008 तक युवा कांग्रेस (Youth Congress) के प्रदेश अध्यक्ष रहे. सुक्खू ने वकालत की हुई है. सुक्खू इस बार नादौन विधानसभा सीट से चौथी बार विधायक बने हैं. सुखविंदर सिंह सुक्खू कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और महासचिव रह चुके हैं.
उपचुनाव से बचना चाहती थी कांग्रेस
सुखविंदर सिंह सुक्खू को हिमाचल प्रदेश की कमान देने के पीछे एक कारण यह भी हो सकता है कि कांग्रेस विधानसभा उपचुनाव से बचना चाहती थी. अगर कांग्रेस वीरभद्र सिंह की पत्नी और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को सीएम बनाती तो उसको विधानसभा उपचुनाव कराना पड़ता क्योंकि प्रतिभा सिंह विधायक नहीं हैं. इसके अलावा मंडी सीट पर लोकसभा उपचुनाव भी होता क्योंकि प्रतिभा सिंह वहां की सांसद हैं. गौरतलब है कि मंडी लोकसभा की अधिकतर विधानसभा सीटें बीजेपी ने जीती हैं, ऐसे में वहां उपचुनाव में जाना कांग्रेस के लिए खतरा मोल लेने जैसा साबित हो सकता था.
परिवारवाद से किया किनारा
गौरतलब है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू को सत्ता सौंपना कांग्रेस को परिवारवाद के आरोप से भी बचाता है. कांग्रेस आलाकमान अगर वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को हिमाचल का सीएम बनाती तो आरोप लग सकते थे कि कांग्रेस ने परिवारवाद का साथ दिया. लेकिन कांग्रेस ने अब प्रतिभा सिंह को पार्टी संगठन तक सीमित कर दिया है, वो प्रदेश अध्यक्ष रहकर राज्य में संगठन को मजबूत करने का काम करेंगी.