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हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर अहम टिप्पणी की है। राज्य निर्वाचन आयोग से पूछे गए एक सवाल के जवाब को सुनकर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने मौखिक तौर पर कहा कि चुनावी प्रक्रिया जारी है।

कई याचिकाएं कोर्ट में विचाराधीन हैं और चुनाव चिह्न आवंटन शुक्रवार शाम तक होने हैं। ऐसे में पहले ही बैलेट पेपर कैसे छापे जा सकते हैं।

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हाईकोर्ट में पहुंची कई याचिकाएं

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव को लेकर दर्जनभर याचिकाएं हाईकोर्ट पहुंच चुकी हैं। इधर, शुक्रवार को नामांकन खारिज किए जाने पर चुनौती देती एक याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से पूछा कि क्या चुनाव चिह्न आवंटित हो गए हैं? आयोग ने बताया कि नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी हो चुकी है। जो फॉर्म सही नहीं था, वह पंचायती राज एक्ट के विरुद्ध मानकर रिटर्निंग अधिकारी ने निरस्त कर दिया। बैलेट पेपर छपने के लिए प्रिंटिंग प्रेस भेज दिए गए हैं। इस पर कोर्ट ने सवाल उठाया और कहा कि चुनाव चिह्न आवंटन की प्रक्रिया समाप्त होने से पहले बैलेट पेपर कैसे छापे जा सकते हैं।

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आयोग की तरफ से बताया गया कि प्रत्याशियों को उनके नाम के पहले अंग्रेजी अक्षर के आधार पर चुनाव चिह्न बांटे गए हैं। खंडपीठ ने इस पर भी सवाल उठाया और कहा कि पंचायती राज ऐक्ट में स्पष्ट है कि नामांकन पत्र सही पाए जाने के बाद चुनाव लड़ने के योग्य माने गए उम्मीदवार को उसकी पसंद के आधार पर चुनाव चिह्न आवंटित किया जाएगा। लेकिन बैलेट पेपर छापने में इतनी जल्दबाजी क्यों की गई कि उम्मीदवार किस चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ना चाहता है उसकी पसंद का ख्याल तक नहीं रखा गया।