रहनकला गांव के एक घर में 2 जुलाई की सुबह को पति-पत्नी के बीच कहासुनी चल रही थी (Hathras Stampede Victims). हाथरस में नारायण साकार के सत्संग में जाने को लेकर. गुड़िया देवी अपनी बेटी और पड़ोस की दो महिलाओं के साथ सत्संग जाना चाहती थी.
पति ने मना किया लेकिन वो नहीं मानीं. भगदड़ में उनकी मौत हो गई है. उनके साथ गई दो महिलाएं भी मारी गईं.
मृतक गुड़िया देवी के पति मेहताब ने ANI को बताया,
मेरी पत्नी हमारी पड़ोस की चाची, बहन जी और बेटी के साथ सत्संग गई थी. हमारी बेटी तो सुरक्षित पहुंच गई घर, लेकिन बाकी तीनों की मौत हो गई. मैंने सुबह अपनी पत्नी से मना किया कि मत जाओ. 10-15 दिन बाद चली जाना. वो नहीं मानी. बेटा भी जिद करने लगा कि जाने दो. मेरी पत्नी मान जाती लेकिन बेटे की वजह से मैंने जाने दिया.
चश्मदीद संतोष अपनी बहन के साथ यहां पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि दोपहर के 1:30 बजे समारोह का समापन हुआ. इसके बाद वो अपनी बहन के साथ पंडाल में प्रसाद के लिए पहुंचे. बाहर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि भगदड़ मची हुई है. लोग दौड़ रहे हैं. पास में ही एक नाला था. संतोष ने देखा कुछ लोग इस नाले में गिर गए.
एक अन्य चश्मदीद शकुंतला देवी ने कहा कि भगदड़ उस वक्त हुई जब लोग कार्यक्रम खत्म होने के बाद कार्यक्रम स्थल से बाहर निकल रहे थे. बाहर नाले के ऊपर काफी ऊंचाई पर सड़क बनी हुई थी. और यहां लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरे हुए थे.
बेटी की शादी का कार्ड देना था!
अलीगढ़ के मडराक थाना क्षेत्र के मुकुंदपुर गांव की रहने वाली बीनू देवी भी हाथरस में सत्संग में शामिल होने गई थीं. 12 जुलाई को उनकी बेटी अंजलि की शादी होनी है. वो बाबा साकार हरि को शादी का कार्ड देने गई थीं. बीनू बताती हैं कि वो बाबा से नहीं मिल सकीं इसलिए कार्ड सेवादारों को दे दिया. उनको उम्मीद थी कि सेवादार उसे बाबा तक पहुंचा देंगे. बीनू भगदड़ होने से पहले ही वहां से निकल आईं. वो पिछले पांच साल से बाबा के समागम में जाती रही हैं.
घटनास्थल पर अंजलि की शादी का कार्ड गिरा हुआ मिला था.