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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस मामले पर सुनवाई की है जिसमें उसने हलद्वानी में रेलवे द्वारा दावा की गई 29 एकड़ भूमि से अतिक्रमण हटाने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के निर्देशों पर रोक लगा दी थी।

सुप्रीम कोर्ट हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई की सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के आदेश पर पहले ही स्टे लगा रखा है। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष सात अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दो मई को कहा था कि उत्तराखंड हाईकोर्ट के पिछले साल 20 दिसंबर के निर्देश पर रोक संबंधी उसका अंतरिम आदेश शीर्ष अदालत में याचिकाओं के लंबित रहने तक जारी रहेगा। उच्चतम न्यायालय ने पांच जनवरी को एक अंतरिम आदेश में 29 एकड़ भूमि से अतिक्रमण हटाने के उच्च न्यायालय के निर्देशों पर रोक लगा दी थी। इतना ही नहीं शीर्ष अदालत ने इसे ‘मानवीय मुद्दा’ करार दिया था।

सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने कहा था कि 50 हजार लोगों को रातोंरात नहीं हटाया जा सकता है। रेलवे के मुताबिक, जमीन पर 4,365 परिवारों ने अतिक्रमण कर रखा है। जमीन पर कब्जा रखने वाले परिवार हल्द्वानी में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। ये लोग दावा कर रहे थे कि वे जमीन के असली मालिक हैं। इनमें से ज्यादातर मुस्लिम हैं।

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शीर्ष अदालत ने पहले रेलवे और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर अतिक्रमण हटाने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उनके जवाब मांगे थे। केंद्र सरकार के वकील ने कहा था कि यथाशीघ्र उचित समाधान निकालने का प्रयास किया जा रहा है। उच्च न्यायालय ने पिछले साल 20 दिसंबर के अपने आदेश में हल्द्वानी के बनभूलपुरा में कथित रूप से अतिक्रमित रेलवे भूमि पर निर्माण को ध्वस्त करने का आदेश दिया था।

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इसमें निर्देश दिया गया था कि अतिक्रमणकारियों को एक हफ्ते का नोटिस दिया जाए और अतिक्रमण को ध्वस्त किया जाए। निवासियों ने अपनी याचिका में कहा है कि उच्च न्यायालय ने इस तथ्य से अवगत होने के बावजूद कि याचिकाकर्ताओं सहित निवासियों के स्वामित्व के संबंध में कार्यवाही जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित है, आक्षेपित आदेश पारित करके गंभीर गलती की है। बनभूलपुरा में 29 एकड़ भूमि में फैले क्षेत्र में धार्मिक स्थल, स्कूल, व्यापारिक प्रतिष्ठान और आवास हैं। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि उनके पास वैध दस्तावेज हैं जो जमीन पर उनके स्वामित्व को स्थापित करते हैं।