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अयोध्या। अपनों की उपेक्षा और बेलगाम अफसरशाही भगवागढ़ में भाजपा की नैया डूबने का सबसे बड़ा कारण बनी। भाजपा संगठन में अनुभवी नेताओं में गिने जाने वाले लल्लू सिंह नेतृत्व के भी अत्यंत भरोसेमंद माने जाते हैं।

यही कारण है कि उनके नाम की घोषणा भाजपा की पहली सूची में की गई थी, लेकिन बेलगाम अफसरशाही और सरकार में सांगठनिक नेताओं की अनदेखी चुनाव में भारी पड़ गई। एक नहीं, अनेक बार ऐसा हुआ, जब अधिकारियों ने भाजपा नेताओं की न सिर्फ अनसुनी की, बल्कि कुछ एक अवसरों पर तो अधिकारियों ने भाजपा नेताओं को जेल तक भेजने की धमकी दी।

यहां तक कि भाजपा के निवर्तमान महानगर अध्यक्ष को मंत्री व जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में तत्कालीन जिलाधिकारी ने जेल भेजने की धमकी दी थी। अनेक अवसरों पर भाजपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों तक को बेलगाम अफसरशाही के कारण शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। य

यह आम चर्चा भी है कि सरकार का सांगठनिक नेताओं के बजाय अफसरों के साथ खड़े होने से कई कार्यकर्ता चुनाव के दौरान उस भांति मुखर नहीं हुए, जैसे पहले होते रहे हैं। इसी कारण मतदान प्रतिशत भी 2019 के मुकाबले गिर गया। इस बार कुल 59.13 प्रतिशत लोगों को मतदान किया था, जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में 59.67 प्रतिशत मतदान हुआ।

उपेक्षित कार्यकर्ताओं ने मतदाताओं को घरों से निकालने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। वोटिंग के दौरान कई मतदान केंद्र तो ऐसे भी थे, जहां कार्यकर्ता रहे तो, लेकिन मतदाताओं को वोट देने के लिए प्रेरित करते नहीं दिखे। अफसरशाही की मनमानी का मुद्दा पदाधिकारियों ने सांगठनिक बैठकों में उठाया भी, लेकिन सुनवाई ही नहीं हुई। व्यापार मंडल के महानगर अध्यक्ष एवं भाजपा नेता पंकज गुप्ता कहते हैं कि भाजपा को कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भारी पड़ी।

‘क्या हार में, क्या जीत में, किंचित नहीं भयभीत मैं’

भाजपा के टिकट से अयोध्या विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक और फैजाबाद संसदीय सीट से दो बार सांसद रहे लल्लू सिंह को ऐसे समय में पराजय मिली, जब देश-दुनिया की दृष्टि अयोध्या पर थी। परिणाम प्रतिकूल आए, लेकिन अयोध्या के प्रति लल्लू सिंह की प्रतिबद्धता जस की तस है। वह कहते हैं, ‘जनता के निर्णय को स्वीकार करता हूं।’ कहते हैं, ‘इस बात का गर्व है कि पिछले 10 वर्षों में अयोध्या को वह सबकुछ मिला, जिसकी वह हकदार रही।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बनने जा रही है। इसलिए अयोध्यावासी निश्चिंत रहें। उनकी हर कामना पूर्ण होगी।’ चुनाव परिणाम पर जागरण ने उनसे वार्ता की। प्रस्तुत हैं, वार्ता के प्रमुख अंश- -चुनाव में पराजय पर क्या कहेंगे ? -‘क्या हार में क्या जीत में, किंचित नहीं भयभीत मैं, संघर्ष पथ पर जो भी मिले, यह भी सही वह भी सही।’ मैं जनादेश स्वीकार करता हूं।