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अरुणाचल प्रदेश का तवांग 9 दिसंबर के बाद सारी दुनिया में मशहूर हो चुका है. इसकी वजह भारतीय सेना है, जिसने चीन की हेकड़ी निकालकर सारी दुनिया की प्रशंसा पाई है. 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित तवांग की यांग्त्से पोस्ट पर कब्जा करने के इरादे से चीनी सैनिक आए, लेकिन उल्टे पैर वापस लौटा दिए गए. इसको लेकर अब अरुणाचल के मुख्यमंत्री ने कहा है कि ये 1962 का भारत नहीं, नरेंद्र मोदी का जमाना है.

मुंबई में एक कार्यक्रम में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि यह 1962 नहीं है, यह 2022 है, नरेंद्र मोदीजी का ज़माना है. इससे पहले कांग्रेस के शासन के दौरान यांग्त्से सेक्टर में केवल एक प्रमुख और 60-70 जवान थे. कोई सड़क बुनियादी ढांचा नहीं था. यांग्त्से सेक्टर 16,000 फीट की ऊंचाई पर है. राज्य में भाजपा के सत्ता में आने के बाद मोदीजी ने 1000 सैनिकों वाले एक कर्नल के अधीन वहां पूरी बटालियन तैनात कर दी है. सड़क संपर्क में भी सुधार हुआ है.

बता दें कि पूर्वी लद्दाख में 2020 में भारत और चीन का सीमा को लेकर विवाद हुआ था. इसके बाद से भारतीय सेना और वायुसेना अरुणाचल और सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पिछले दो सालों से हाई लेवल ऑपरेशनल तैयारियों को बरकरार रखा है. पिछले हफ्ते भी भारतीय वायुसेना ने तवांग में एलएसी के पास चीन की गतिविधियों को देखते हुए लड़ाकू विमान तैनात किए थे. दरअसल, तवांग में 9 दिसंबर को हुई झड़प से पहले 2-3 बार चीन के ड्रोन एलएसी के पास आए थे, इसके बाद भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 विमानों ने इन्हें खदेड़ा था.

भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को खदेड़ा 

इससे पहले सोमवार 9 दिसंबर को भारतीय सेना ने बताया था कि तवांग में 9 दिसंबर को भारत और चीनी सैनिक आमने सामने आ गए थे. इसमें दोनों ओर के कुछ जवानों को चोटें आई हैं. इससे पहले जून 2020 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच गलवान में हिंसक झड़प हुई थी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद में इस मुद्दे पर बयान दिया था. उन्होंने बताया कि भारतीय सैनिकों ने बहादुरी से चीनी सैनिकों पीछे खदेड़ दिया. 9 दिसंबर 2022 को PLA सैनिकों ने अरुणाचल के तवांग सेक्टर के यांग्त्से में एलएसी पर अतिक्रमण कर यथास्थिति को एकतरफा बदलने का प्रयास किया. चीन के इस प्रयास का हमारी सेना ने दृढ़ता के साथ सामना किया. इस दौरान दोनों पक्ष आमने सामने आ गए. हाथापाई भी हुई. इस झड़प में दोनों ओर के कुछ सैनिकों को चोटें आईं. लेकिन मैं सदन को बताना चाहता हूं कि झड़प में हमारे किसी भी सैनिक की मृत्यु नहीं हुई और न ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ.