हिमाचल प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख पर मुहर लग गई है. राजभवन में रविवार को सुबह 10 बजे शपथ ग्रहण समारोह होगा. इसमें करीब 7 विधायक मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. इनमें पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह, धनी राम शांडिल, हर्षवर्धन चौहान के नाम की चर्चाएं तेज हैं.
हिमाचल प्रदेश में आखिरकार मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख और समय फाइनल हो गया है. रविवार यानी 8 जनवरी को सुबह 10 बजे शपथ ग्रहण समारोह होगा. इसमें करीब 7 विधायक मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. हिमाचल प्रदेश के राज भवन में एक सादे समारोह में कैबिनेट मंत्री शपथ लेंगे. राज्य में मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर काफी दिनों से चर्चाएं तेज थीं. हालांकि, नामों को लेकर फाइनल मुहर नहीं लग पाने से देरी होती जा रही थी.
इससे पहले हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का बयान आया था. उन्होंने बताया था कि मंत्रिपरिषद को लेकर संभावितों की सूची कांग्रेस आलाकमान को भेजी है, वहां से मंजूरी मिलते ही शपथ ग्रहण का कार्यक्रम तय कर दिया जाएगा. सुक्खू शनिवार को दिल्ली से लौटने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सुक्खू ने कहा था- मंत्रिमंडल का विस्तार रविवार या बाद में हो सकता है. उन्होंने इस मुद्दे पर पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ चर्चा की है.
सुक्खू का कहना था कि सूची आलाकमान को सौंप दी गई है और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा सूची को मंजूरी दिए जाने के बाद ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा. यदि मंत्रिमंडल का विस्तार रविवार को नहीं होता तो फिर यह 12 जनवरी के बाद होता. क्योंकि राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर रविवार को गोवा के लिए रवाना होने वाले हैं.
हिमाचल में मंत्रिपरिषद में 10 विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है. क्योंकि यहां मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री समेत मंत्रियों की कुल संख्या 12 से ज्यादा नहीं हो सकती है. बता दें कि हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी और सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाया गया था. उनके साथ डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी मुकेश अग्निहोत्री को दी गई. अब कांग्रेस की सरकार लगभग एक महीने बाद मंत्रिमंडल का विस्तार करने जा रही है. कई दिनों से नए मंत्रियों के नामों को लेकर काफी अटकलें लगाई जा रही हैं.
कैसे संतुलन साधेंगे सुक्खू?
कांग्रेस सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर घमासान की स्थिति देखने को मिल रही है. क्योंकि प्रतिनिधित्व को लेकर विभिन्न क्षेत्रों, जातियों और गुटों को साधना सबसे मुश्किल माना जा रहा है. सीएम सुक्खू को पुराने और नए चेहरों को शामिल करते हुए संतुलन भी बनाना होगा. पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि 12 में से अब तक तीन जिलों को प्रतिनिधित्व मिल गया है. हमीरपुर से सुक्खू, ऊना से अग्निहोत्री और चंबा के भटियात से पांच बार विधायक कुलदीप पठानिया विधानसभा अध्यक्ष बनाए गए हैं.
इसके अलावा, लाहौल और स्पीति और किन्नौर के जनजातीय क्षेत्रों को एक मंत्री मिलने की उम्मीद है. कांग्रेस के दस और सात विधायकों वाले कांगड़ा और शिमला को मंत्रिमंडल में हिस्सा दिए जाने की संभावना है. दरअसल, कांग्रेस ने 68 विधानसभा सीटों में से ऊना, सोलन और हमीरपुर में चार-चार, सिरमौर में तीन, चंबा और कुल्लू में दो-दो और मंडी, बिलासपुर, किन्नौर और लाहौल और स्पीति जिलों में एक-एक सीट समेत 40 सीटों पर जीत हासिल की है.
कांग्रेस के सामने क्या चुनौती?
सुक्खू ने कहा है कि मंत्रिमंडल में प्रोफेशनल्स, यूथ और विभिन्न वर्गों को मौका दिया जाएगा. पूर्व मंत्री और कई दूसरी और तीसरी बार के विधायक भी मंत्री पद की दौड़ में हैं. ऐसे में पार्टी को सुक्खू और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के नेतृत्व वाले गुटों में भी सामंजस्य बिठाना है. इनमें सबसे आगे जिनका नाम चल रहा है, उनमें कांगड़ा के जवाली से चंदर कुमार, पूर्व मंत्री और पूर्व लोकसभा सदस्य और सोलन से सबसे पुराने विधायक धनी राम शांडिल शामिल हैं.
इसी तरह, कांगड़ा के धर्मशाला से पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा, सिरमौर के शिलाई से छह बार के विधायक हर्षवर्धन चौहान, किन्नौर के पूर्व डिप्टी स्पीकर जगत सिंह नेगी, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह और जुब्बल-कोटखाई से चार बार के विधायक रोहित ठाकुर हैं, जो पूर्व मुख्यमंत्री राम लाल ठाकुर के पोते हैं.