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बनभूलपुरा हिंसा के बाद क्षेत्र पुलिस छावनी में तब्दील हो गया है. वहीं हल्द्वानी शहर में भी सन्नाटा है. बाहरी हल्द्वानी में कर्फ्यू में कुछ राहत है लेकिन आम लोग समस्या का सामना कर रहे हैं. स्कूल-कॉलेज बंद, राशन की दुकान बंद हैं. युवाओं का कहना है इतनी हिंसा कभी नहीं देखी है. अतिक्रमण पर करवाई पूरे हल्द्वानी में पहले से चल रही है, लेकिन यहां कोई विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ.

हल्द्वानी में बनभूलपुरा क्षेत्र में गुरुवार को हुई हिंसा के बाद कर्फ्यू लगाया गया. शनिवार को तीसरे दिन भी शहर सामान्य रूप में आने की राह देख रहा है. प्रशासन ने बनभूलपुरा क्षेत्र में सख्ती की गई है. ड्रोन से गश्त बढ़ाई गई है और अपराधियों की तलाश जारी है. बनभूलपुरा में दो दिन में कितना कुछ बदला है, इस पर आजतक/India Today ने ग्राउंड रिपोर्ट की. बनभूलपुरा हिंसा के बाद क्षेत्र पुलिस छावनी में तब्दील हो गया है. वहीं हल्द्वानी शहर में भी सन्नाटा है. बाहरी हल्द्वानी में कर्फ्यू में कुछ राहत है लेकिन आम लोग समस्या का सामना कर रहे हैं. स्कूल-कॉलेज बंद, राशन की दुकान बंद हैं. युवाओं का कहना है इतनी हिंसा कभी नहीं देखी है. अतिक्रमण पर करवाई पूरे हल्द्वानी में पहले से चल रही है, लेकिन यहां कोई विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ.

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हल्द्वानी में इंटरनेट भी ठप है. धीरे-धीरे कुछ जगहों पर इंटरनेट सेवाएं बहाल हो रही हैं. हल्द्वानी शहर के मार्किट और सड़कों पर सन्नाटा पसरा है. नैनीताल बरेली हाईवे को खोले जाने से गाड़ियों का आवागमन शुरू हुआ है, लेकिन हल्द्वानी के लोग अब भी अमन चैन की राह देख रहे हैं.

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IAS दीपक रावत को मिली जांच की जिम्मेदारी

दंगों की शनिवार को मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं. इसकी जिम्मेदारी उत्तराखंड के चर्चित आईएएस अफसर दीपक रावत को दी गई है, जो कि इस वक्त कुमाऊं कमिश्नर हैं. नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रह्लाद मीना ने बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए शहर में इंटरनेट सेवाएं अभी निलंबित रहेंगी. इस हिंसा के संबंध में अब तक तीन केस दर्ज किए गए हैं. पांच लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है.

हिंसा की पहले से कर ली गई थी तैयारी

उत्तराखंड के हल्द्वानी में अवैध मदरसा और धार्मिक स्थल को हटाए जाने को लेकर जो हिंसा हुई उसको लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. देवभूमि को पहले ही झुलसाने की तैयारी कर ली गई थी और इसकी इंटेलिजेंस रिपोर्ट भी स्थानीय प्रशासन को दी गई थी.

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बनभूलपूरा हिंसा से एक हफ्ते पहले इंटेलिजेंस ने प्रशासन को अलर्ट रिपोर्ट दिया था जिसमें कहा गया था कि मस्जिद और मदरसे को हटाने की कार्रवाई को लेकर अब्दुल मालिक के साथ मुस्लिम संगठन और कट्टरपंथी लोग विरोध कर सकते हैं. इंटेलिजेंस ने प्रशासन को अब्दुल मलिक द्वारा बनभूलपुरा विवादित स्थल पर विरोध प्रदर्शन के बारे में सूचित किया था. मलिक बागीचा के स्वामित्व का दावा करता है और इसी इलाके में अवैध निर्माण को हटाया जाना था.

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