Chandrayaan-3 14 जुलाई को जैसे ही चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी पूरा देश खुशी में झूम उठा। उत्तराखंड के लिए तो यह क्षण दोहरी खुशी लेकर आया। इसकी वजह बना अभियान में अहम भूमिका निभाने वाला पौड़ी जिले के दुगड्डा कस्बे का अग्रवाल दंपती। दरअसल मूलरूप से दुगड्डा निवासी दीपक अग्रवाल इस अभियान से थर्मल विभाग के प्रमुख के रूप में जुड़े हैं।
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14 जुलाई को जैसे ही ‘चंद्रयान-3’ (Chandrayaan-3) ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी, पूरा देश खुशी में झूम उठा। उत्तराखंड के लिए तो यह क्षण दोहरी खुशी लेकर आया। इसकी वजह बना अभियान में अहम भूमिका निभाने वाला पौड़ी जिले के दुगड्डा कस्बे का अग्रवाल दंपती। दरअसल, मूलरूप से दुगड्डा निवासी दीपक अग्रवाल इस अभियान से थर्मल विभाग के प्रमुख के रूप में जुड़े हैं। जबकि, उनकी पत्नी पायल अग्रवाल अभियान में साफ्टवेयर विज्ञानी के रूप में शामिल हैं।
वर्ष 1979 में जन्मे थे दीपक अग्रवाल
वर्ष 1979 में गोपाल चंद्र अग्रवाल व कृष्णा देवी के घर जन्मे दीपक की प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर दुगड्डा में हुई। राजकीय इंटर कालेज दुगड्डा से इंटर करने के बाद बीटेक के लिए दीपक को गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में सीट आवंटित हुई। परिवार की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी, इसलिए पिता ने ऋण लेकर उन्हें विवि में प्रवेश दिलाया।
वर्ष 2002 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने पहनाया था मेडल
मेहनत व लगन के दम पर दीपक ने वर्ष 2002 में विवि से न सिर्फ मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया, बल्कि यूनिवर्सिटी मेडल भी हासिल किया। तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें यह मेडल पहनाया। इस दौरान कलाम ने मेडल हासिल करने वाले विद्यार्थियों से वार्ता कर उन्हें देश सेवा के लिए इसरो ज्वाइन करने का न्योता दिया।
वर्ष 2004 में इसरो में हुआ था चयन
वर्ष 2004 में आइआइटी कानपुर से एमटेक करने के तत्काल बाद दीपक का चयन इसरो (ISRO) के लिए हो गया। वह माता-पिता को लेकर त्रिवेंद्रम चले गए और इसरो में बतौर विज्ञानी नौकरी ज्वाइन की। यहां भी उन्होंने अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन बनाए रखा। वर्ष 2009 से 2015 तक दीपक ने एयरो स्पेस के क्षेत्र में पीएचडी की। वर्तमान में वह इसरो में थर्मल इंजीनियरिंग डिवीजन के प्रमुख, थर्मल, सी-25 (भारी क्रायोजेनिक इंजन और स्टेज) के उपपरियोजना निदेशक, थर्मल, सीयूएस (भारत के पहले क्रायोजेनिक राकेट इंजन) के परियोजना निदेशक और थर्मल, सेमी-क्रायोजेनिक इंजन और स्टेज के परियोजना निदेशक की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
‘चंद्रयान-3’ के चंद्रमा पर लैंड होने का है इंतजार
फोन पर ‘दैनिक जागरण’ से बातचीत में दीपक ने कहा कि अब उन्हें ‘चंद्रयान-3’ के चंद्रमा की जमीन पर सफलतापूर्वक लैंड होने का इंतजार है। संभवत: 23-24 अगस्त तक यान चंद्रमा पर लैंड कर जाएगा। बताया कि वो पहले मंगल मिशन, चंद्रयान-1, जीएसएलवी उड़ान के लिए क्रायोजेनिक इंजन के विकास और जीएसएलवी एमके-3 मिशन में भी योगदान दे चुके हैं।
वर्तमान में वो चंद्रयान-3 मिशन, हाई थ्रस्ट क्रायोजेनिक इंजन विकास व सेमीक्रायोजेनिक इंजन विकास के लिए काम कर रहे हैं। बताया कि पिथौरागढ़ निवासी उनकी पत्नी पायल का ननिहाल भी दुगड्डा ही है।
दीपक की उपलब्धियां
- वर्ष 2002 में बीटेक में यूनिवर्सिटी मेडल
- आइआइटी कानपुर से एमटेक की पढ़ाई के दौरान अकादमिक उत्कृष्टता के लिए जीई लीडरशिप अवार्ड
- वर्ष 2004 में आइआइटी कानपुर से एमटेक में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर योग्यता प्रमाण पत्र
- वर्ष 2011 में इसरो यंग साइंटिस्ट मेरिट अवार्ड से सम्मानित
- वर्ष 2016 में महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के स्वदेशीकरण को इसरो टीम पुरस्कार
- वर्ष 2015 में भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान व प्रौद्योगिकी संस्थान से एयरोस्पेस में पीएचडी
- अंतरिक्ष विज्ञानी के रूप में मास्को व मैक्सिको में भारत का प्रतिनिधित्व किया
- योग्यता को देखते हुए इसरो में तीन मेरिट प्रमोशन दिए
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