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उत्तराखंड में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से लगभग 100 किमी दूर भारत-अमेरिका के संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘युद्ध अभ्यास’ से चीन को मिर्ची लगी है. सैन्य अभ्यास पर आपत्ति जताते हुए चीन ने इसका विरोध किया है. चीन ने संयुक्त भारत-अमेरिका सैन्य अभ्यास का विरोध किया और कहा कि यह नई दिल्ली और बीजिंग के बीच हस्ताक्षरित दो सीमा समझौतों की भावना का उल्लंघन है. चीन की आपत्ति को भारत ने सिरे से खारिज कर दिया है. भारत ने कहा कि युद्ध अभ्यास का 1993 के समझौते से कोई लेना-देना नहीं है. चीन खुद समझौते का उल्लंघन करता है, उन्हें अभ्यास के अपने स्वयं के उल्लंघन के बारे में पहले आत्मनिरीक्षण करना चाहिए.

चीन को भारत का जवाब

विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा, “चीन या किसी अन्य देश के पास भारत के सैन्य अभ्यास पर कोई अधिकार या वीटो नहीं है.” भारत ने उत्तराखंड के ऑली में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास अमेरिका के साथ संयुक्त युद्ध अभ्यास पर चीन की आपत्तियों को सिरे से खारिज करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि वह ऐसे मुद्दों पर किसी तीसरे देश को ‘वीटो’ नहीं दे सकता है.

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चीन को भारत की नसीहत

चीन पर निशाना साधते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने संवाददाताओं से कहा कि ऑली में अमेरिका के साथ संयुक्त युद्ध अभ्यास का चीन के साथ 1993 और 1996 के समझौते से कोई लेना देना नहीं है. बागची ने कहा, ‘‘चूंकि चीनी पक्ष ने इस मुद्दे को उठाया है, ऐसे में मैं इस बात को रेखांकित करूंगा कि चीन को 1993 और 1996 के समझौते के उसके द्वारा किए गए उल्लंघन करने के बारे में स्वयं सोचना चाहिए. ’’

भारत का अमेरिका के साथ संबंध

उन्होंने कहा, ‘‘भारत किसके साथ युद्ध अभ्यास करता है, उसको लेकर किसी तीसरे पक्ष वीटो प्रदान नहीं कर सकता है.’’ उन्होंने कहा कि भारत का अमेरिका के साथ संबंध है और इसे कोई वीटो नहीं कर सकता. ज्ञात हो कि चीन ने अमेरिका के साथ उत्तराखंड में भारत के युद्ध अभ्यास का विरोध करते हुए कहा था कि चीन-भारत से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब भारत और अमेरिका के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास 1993 और 1996 में चीन और भारत के बीच हुए समझौते की भावना का उल्लंघन करता है.

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अमेरिका के लिए चीन ने क्या कहा था?

भारत के साथ संबंधों में दखल नहीं देने की अमेरिका को चीन की चेतावनी के बारे एक खबर के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कहा कि इस पर वह क्या कह सकते हैं, क्योंकि उन्हें धमकी नहीं दी गई. गौरतलब है कि चीन ने अमेरिकी अधिकारियों को चेतावनी दी है कि वे भारत के साथ उसके संबंधों में दखल न दें. अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन ने कांग्रेस (संसद) में पेश एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है.

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अमेरिका ने भी साधा निशाना

पेंटागन ने कहा है कि वर्ष 2021 के दौरान पीएलए ने भारत-चीन सीमा के एक खंड पर सैन्य बलों की तैनाती बरकरार रखी और एलएसी के पास बुनियादी ढांचे का निर्माण भी जारी रखा. रिपोर्ट में कहा गया है कि गतिरोध के समाधान के लिए भारत और चीन के बीच वार्ता में न्यूनतम प्रगति हुई है, क्योंकि दोनों पक्ष सीमा पर अपने-अपने स्थान से हटने का विरोध करते हैं. चीन में कोविड को लेकर पाबंदी एवं लॉकडाउन लगाये जाने के बारे में एक प्रश्न के उत्तर में बागची ने कहा कि वह किसी देश द्वारा कोविड से निपटने की रणनीति पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि सम्पूर्ण मानवता कोविड से उबर आयेगी .

 

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