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जोशीमठ में भू-धंसाव के कारण घर, व्यावसायिक भवनों के साथ ही जमीन पर दरारों का दायरा भी बढ़ता जा रहा है। बढ़ती दरारों ने स्थानीय लोगों के साथ ही शासन-प्रशासन को भी चिंता में डाल दिया है। आने वाले दिनों में बारिश का पानी दरारों में न घुसे, इसके लिए प्राथमिक तौर पर दरारों को बेंटोनाइट तकनीक से भरने का शासन स्तर पर निर्णय लिया गया है।

जोशीमठ नगर क्षेत्र में पड़ी दरारें इन दिनों सभी को डरा रही हैं। लोगों के साथ ही शासन-प्रशासन की चिंता इस बात की है, यदि इन दरारों में बारिश का पानी घुसा तो वह क्या गुल खिलाएगा। रविवार को हालात का जायजा लेने जोशीमठ पहुंचे सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने इस विषय पर देर तक अधिकारियों के साथ चर्चा की।

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क्या होती है बेंटोनाइल

उन्होंने बताया, प्राथमिक तौर पर दरारों को भरने के लिए बेंटोनाइल तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। यह एक प्रकार की क्ले (मिट्टी) होती है, जो पानी के संपर्क में आने पर फूल जाती है।

इस मिट्टी को पानी के साथ मिलाकर दरारों में भरा जाएगा, ताकि वह रिक्त स्थान की पूर्ति कर दरारों को भर सके। उन्होंने बताया कि इस तरह से हम प्राथमिक तौर पर दरारों में पानी को जाने से रोक सकते हैं।

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वहीं, आपदा प्रभावित भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि अभी बारिश न आए। ऐसे ही धूप खिली रहे तो उनका सामान बच सकता है। जोशीमठ क्षेत्र में छिटपुट मौसम खराब होने के बाद मौसम सामान्य बना हुआ है। हालांकि शुक्रवार को देर शाम कुछ देर के लिए हल्की बारिश हुई लेकिन रात को मौसम खुल साफ हो गया। मौसम में ठंडक बरकरार है। सुबह और रात को तापमान एक डिग्री तो दिन में 12 डिग्री तक पहुंच रहा है जिससे कोरी ठंंड से आपदा प्रभावितों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

कई लोगों ने अपने घर तो खाली कर दिए हैं लेकिन घर के जरूरी सामान भवन की छत और आंगन में ढककर रखा है। इस सामान को लोग किराये के घरों में और अपने रिश्तेदारों के यहांं भेज रहे हैं। सूरज कपरवाण का कहना है कि भगवान की मेहरबानी ही है कि अभी तक बारिश और बर्फबारी ज्यादा नहींं हुई।

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दो दिन पहले ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी तो हुई है लेकिन निचले क्षेत्रों में बारिश कम हुई जिससे राहत मिली है। सुनील वार्ड निवासी मीना देवी का कहना है कि पिछले सालों तक दिसंबर माह से ही बारिश औैर बर्फबारी शुरू हो जाती थी, लेकिन इस बार मौसम की मेहरबानी बनी है।

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