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कोटद्वार:  बस की गंभीर स्थिति दुर्घटनास्थल से करीब 50 किलोमीटर पहले तभी सामने आ गई थी, जब बस की अगली कमानी में पहली बार खराबी आई। इसके बाद बस कई बार खराब हुई और जुगाड़बाजी से चलती रही। कुछ घायल बरातियों की मानें तो एक-दो मौकों पर चालक दिनेश गुसाईं ने इसको लेकर आगाह भी किया और दूसरी बस मंगवाने की बात कही, मगर समय का हवाला देते हुए बरातियों ने उसी हालत में बस को धीरे-धीरे चलाने की बात कही।

सफर तो जारी रहा, मगर हादसे के रूप में सामने आई मंजिल

चालक ने भी यह बात मान ली। बरातियों की गुजारिश पर दिनेश की जुगाड़बाजी से बस का सफर तो जारी रहा, मगर मंजिल इस हादसे के रूप में सामने आई। दिनेश अगर बरातियों के आग्रह को ठुकरा देते तो शायद इतने परिवारों को अपनों को नहीं खोना पड़ता और खुद उनकी जान भी बच जाती।

मूल रूप से पौड़ी जिले के चौबट्टाखाल में टांड्यूधार निवासी दिनेश गुसाईं दुर्घटना का शिकार हुई बरातियों से भरी बस के चालक ही नहीं, बल्कि स्वामी भी थे। दिनेश अपनी बस की मरम्मत कोटद्वार के मोटर नगर में मोटर मैकेनिक साबिर से कराते थे। साबिर की मानें तो 45 वर्षीय दिनेश ने 10 दिन पूर्व ही बस की पिछली कमानी की मरम्मत करवाई थी। मंगलवार सुबह दिनेश बस को लेकर कटेवड़ के लिए रवाना हुए, जहां से उन्हें बरात लेनी थी। दोपहर 12 बजे दिनेश बरात लेकर कांडा तल्ला के लिए निकले। हरिद्वार जिले के लालढांग के कटेवड़ गांव से लैंसडौन के कांडा तल्ला की दूरी करीब 140 किमी है। 28 सीटर इस बस में चालक और परिचालक को मिलाकर कुल 52 लोग सवार थे।

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कंपनी से दूसरी बस मंगवाने की कही थी बात

ओवरलोड होने के कारण कोटद्वार से करीब 55 किलोमीटर आगे सिसल्डी में बस के पहिये अचानक थम गए। दिनेश ने उतरकर जांच की तो पता चला कि अगली कमानी में तकनीकी खराबी आ गई है। हादसे में बच गए कुछ घायलों की मानें तो दिनेश ने इस बारे में बरातियों को जानकारी दी थी। साथ ही उन्होंने कंपनी (जीएमओयू) से दूसरी बस मंगवाने की बात भी कही। लेकिन, बरातियों ने देरी होने का हवाला देते हुए दिनेश से धीरे-धीरे बस को आगे बढ़ाने का आग्रह किया। दिनेश किसी तरह 25 किमी का सफर तय कर बस को रिखणीखाल ले आए। वहां बस फिर से खड़ी हो गई। ऐसे में बस की मरम्मत के लिए दिनेश ने मैकेनिक की तलाश भी की। मैकेनिक नहीं मिला तो दिनेश ने दोबारा बरातियों से दूसरी बस मंगवाने की बात कही, मगर बराती अपनी जिद पर अड़े रहे। बरातियों के आग्रह पर दिनेश जुगाड़बाजी कर फिर से बस को लेकर चल पड़े। रिखणीखाल से कांडा तल्ला की दूरी 25 किमी है। लेकिन, मंजिल से एक किमी पहले ही बस की कमानी पूरी तरह धोखा दे गई और बस खाई में जा गिरी।

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जिलाधिकारी ने दिए जांच के आदेश

पौड़ी के जिलाधिकारी डा. विजय कुमार जोगदंडे ने इस दुर्घटना की मजिस्ट्रेट से जांच करवाने के निर्देश दिए हैं। थलीसैंण के उप जिलाधिकारी को जांच अधिकारी नामित किया गया है। उन्होंने जांच अधिकारी को 15 दिन के भीतर जांच आख्या प्रस्तुत करने के लिए कहा है।

छह थाना क्षेत्रों से गुजर गई ओवरलोड बस, सोता रहा सिस्टम

इस हादसे के लिए प्रथमदृष्ट्या भले ही चालक और बरातियों की लापरवाही जिम्मेदार हो, मगर कसूरवार सिस्टम भी कम नहीं है। 28 सीटर यह बस 52 सवारियों के साथ छह थाना क्षेत्रों से गुजर गई और सरकारी तंत्र ने रोकना तो दूर, ओवरलोडिंग को लेकर सवाल-जवाब करने की जहमत भी नहीं जुटाई। श्यामपुर थाना क्षेत्र के लालढांग से बस नजीबाबाद कोतवाली क्षेत्र होते हुए कोटद्वार कोतवाली की कौड़िया चेकपोस्ट पहुंची। कौड़िया में पुलिस के साथ परिवहन विभाग की चेकपोस्ट भी है। लेकिन, वहां भी बस की गंभीरता से जांच नहीं हुई।

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यहां भी बस को रोकने की जहमत नहीं उठाई

कोटद्वार बाजार से गुजरने के बाद बस ने सिद्धबली मंदिर के समीप तिलवाढांग पुलिस चेकपोस्ट और फिर दुगड्डा में पुलिस चेकपोस्ट को पार किया। इसके बाद बस दुगड्डा और फतेहपुर होते हुए डेरियाखाल पहुंची, जो लैंसडौन कोतवाली क्षेत्र में है। यहां भी बस को रोकने की जहमत नहीं उठाई गई। इसके बाद बस रिखणीखाल थाना क्षेत्र से होते हुए बीरोंखाल की तरफ बढ़ गई। कहीं भी बस को नहीं रोका गया। बताना जरूरी है कि कोटद्वार कोतवाली में दो-दो हाईवे पेट्रोल कार होने के साथ यातायात पुलिस का लाव-लश्कर मौजूद है। ऐसे में ओवरलोड बस का इस तरह बेरोकटोक निकल जाना सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है।

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