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राजीव नगर प्रथम अष्टम दिवस रात्रि में अंगद रावण संवाद में अगंद ने राम से आज्ञा लेकर दूत बनकर लंका जाकर रावण को समझाने का प्रयास किया कि बैर भाव छोड़कर व अहंकार को त्याग कर मित्रता पूर्ण व्यवहार करते हुए प्रभु चरणों मे समर्पित हो जा अन्यथा तेरे कुल का नाश निश्चित है।

पूरी लंका में एक विभीषण ही तर्पण के लिए बचेगा रावण की शर्तों को न मानते हुए अंगद ने रावण के अभिमान को चूर करने हेतु अपने पॉव दरवार में जाम कर दिए।

राजीव नगर प्रथम अष्टम दिवस रात्रि में अंगद रावण संवाद में अगंद ने राम से आज्ञा लेकर दूत बनकर लंका जाकर रावण को समझाने का प्रयास किया कि बैर भाव छोड़कर व अहंकार को त्याग कर मित्रता पूर्ण व्यवहार करते हुए प्रभु चरणों मे समर्पित हो जा अन्यथा तेरे कुल का नाश निश्चित है।

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पूरी लंका में एक विभीषण ही तर्पण के लिए बचेगा रावण की शर्तों को न मानते हुए अंगद ने रावण के अभिमान को चूर करने हेतु अपने पॉव दरवार में जाम कर दिए।

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और कहा लंका में अगर कोई वीर है तो मेरे पैर को हिला कर दिखाए अगर मेरे पैर हिल गए तो माता जानकी की सपथ जानकी को हार जाएंगे इस पर रावण द्वारा मेघनाथ सहित अपने सभी सैनिकों को अंगद का पैर उठाने के लिए लगाया गया सारी कोशिशों के बावजूद कोई भी वीर अंगद के पैर को हिला नही पाया।

रावण व अंगद का सजीव अभिनय जिसमे रावण दिनेश पलड़िया और अंगद प्रकाश जोशी ने किया जो राजीव नगर प्रथम के ही निवासी है रावण अंगद का अभिनय धमाकेदार रहा दर्शकों ने दोनों पत्रों का जोरदार तालियों से उत्साह वर्धन किया