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दुग्ध संघ केअध्यक्ष मुकेश मुकेश बोरा के जमानत पर हुई सुनवाई जज ने सशर्त जमानत की मंजूर. 

संपूर्ण जानकारी केलिए अदालत द्वारा दिए गए निर्णय की कॉपी नीचे लगाई गई है। उत्तराखंड हाई कोर्ट, नैनीताल में मुकेश सिंह बोरा नामक आवेदक की जमानत याचिका से संबंधित है। आवेदक पर आरोप है कि उसने शिकायतकर्ता के साथ बलात्कार किया और उसे धमकाया। यहां मामले को सरल हिंदी में समझाया गया है:

1. मामले की पृष्ठभूमि: शिकायतकर्ता ने बताया कि उसके पति की मृत्यु के बाद, वह 2021 में नौकरी की तलाश में थी और उसने आवेदक से संपर्क किया, जो नैनीताल डुग्ध संघ के चेयरमैन हैं। आवेदक ने उसे नौकरी देने के बहाने एक होटल में बुलाया और उसके साथ बलात्कार किया। उसने यह भी आरोप लगाया कि आवेदक ने उसे धमकाया कि अगर वह इस बारे में किसी को बताएगी, तो वह उसकी अश्लील तस्वीरें और वीडियो वायरल कर देगा।

2. आवेदक की दलील: आवेदक के वकील ने कहा कि आवेदक निर्दोष है और उसे झूठे आरोपों में फंसाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि FIR में देरी हुई है और आरोपों को साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता ने हर बार नए तथ्य और स्थान जोड़े हैं, जिससे उसकी कहानी में विसंगतियां हैं।

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3. राज्य की दलील: राज्य के वकील ने जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि जांच के दौरान शिकायतकर्ता और उसकी बेटी के बयान दर्ज किए गए हैं, जो आवेदक के खिलाफ गंभीर आरोपों को साबित करते हैं।

4. अदालत का निर्णय: अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और आवेदक को जमानत देने का फैसला किया, बशर्ते कि वह कुछ शर्तों का पालन करे, जैसे कि जांच एजेंसी के साथ सहयोग करना और देश छोड़ने से पहले अदालत की अनुमति लेना। यह मामला 19 मार्च 2025 को सुनवाई के लिए आया था।

यह दस्तावेज़ एक कानूनी मामले से संबंधित है, जिसमें मुकेश सिंह बोरा नामक आवेदक की जमानत याचिका पर विचार किया गया है। मामले में आवेदक पर आरोप लगाया गया है कि उसने शिकायतकर्ता की नाबालिग बेटी को परेशान किया और उसके साथ अशोभनीय व्यवहार किया। शिकायतकर्ता ने यह भी बताया कि आवेदक ने जांच में सहयोग नहीं किया और पूरे समय फरार रहा।

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अदालत ने दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलों को सुना और बिना मामले की अंतिम योग्यता पर कोई राय दिए, यह निर्णय लिया कि आवेदक को इस स्तर पर जमानत दी जानी चाहिए। इस प्रकार, आवेदक की जमानत याचिका स्वीकार कर ली गई।

आवेदक को जमानत पर रिहा किया जाएगा, बशर्ते कि वह निम्नलिखित शर्तों का पालन करे:

1. आवेदक को जांच एजेंसी के साथ सहयोग करना होगा और जब भी आवश्यक हो, वह जांच एजेंसी के पूछताछ के लिए उपलब्ध रहेगा।

2. आवेदक किसी भी व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई प्रलोभन, धमकी या वादा नहीं देगा जो मामले से परिचित हो।

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यह निर्णय अदालत द्वारा दिए गए शर्तों के आधार पर है और आवेदक को इन शर्तों का पालन करना होगा।

यह दस्तावेज़ एक कानूनी मामले से संबंधित है, जिसमें मुकेश सिंह बोरा नामक आवेदक की जमानत के लिए कुछ शर्तें निर्धारित की गई हैं। इन शर्तों को सरल हिंदी में समझाया गया है:

1. शिकायतकर्ता और उसकी नाबालिग बेटी से संबंधित मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, आवेदक को कुछ नियमों का पालन करना होगा।

2. आवेदक को संबंधित अदालत की पूर्व अनुमति के बिना देश छोड़ने की अनुमति नहीं होगी।

3. आवेदक को अपना पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट के सामने जमा करना होगा, अगर उसके पास पासपोर्ट है। अगर उसके पास पासपोर्ट नहीं है, तो उसे इस बात का हलफनामा दाखिल करना होगा।

यह निर्णय 19 मार्च 2025 को अलोक महरा, जज द्वारा दिया गया था। आवेदक को इन शर्तों का पालन करना अनिवार्य है।