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मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली में 24 जून को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. इस दौरान मणिपुर की स्थिति पर चर्चा की जाएगी. राज्य में हिंसक झड़पों में अब तक 100 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. करीब 10 हजार घर जलाए जा चुके हैं. 4100 से ज्यादा आगजनी की घटनाए हो चुकी हैं.

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मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली में 24 जून को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. इस दौरान मणिपुर की स्थिति पर चर्चा की जाएगी. दरअसल, विपक्ष भी लंबे समय से सरकार से मांग कर रहा था कि इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए. मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच 3 मई से शुरू हुई हिंसा अब भी जारी है. राज्य में हिंसक झड़पों में अब तक 100 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. करीब 10 हजार घर जलाए जा चुके हैं. 4100 से ज्यादा आगजनी की घटनाए हो चुकी हैं. डर के कारण हजारों लोग पलायन कर चुके हैं. सैकड़ों लोग तो मिजोरम और असम भाग गए हैं. करीब 50 हजार लोगों को राहत शिविरों में रखा गया है.

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कैसे हैं मणिपुर के हालात?

मणिपुर में हिंसा इस कदर बढ़ चुकी है कि  हाल ही में भीड़ ने केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन का घर तक फूंक डाला था.  शांति बहाल करने के लिए कई बार प्रयास किए जा चुके हैं लेकिन हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. केंद्रीय सशस्त्र बल की 84 कंपनियों को राज्य में तैनात किया गया है, असम राइफल्स के भी 10 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं, लेकिन सड़कों पर भारी सैन्य बल होने के बाद भी स्थिति बिगड़ती जा रही है.

कितने गोला-बारूद बरामद किए

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद उपद्रवियों ने सुरक्षा बलों से कई हथियार लूट लिए थे. इनमें से अब तक कुल 1,040 अत्याधुनिक हथियार, 230 जिंदा बम और कई तरह के 13,601 गोला-बारूद बरामद कर लिए गए हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक महीने में भीड़ ने करीब 4000 हथियार और 5 लाख राउंड कारतूस लूटे हैं.

15 संगठनों ने UN को भेजा था ज्ञापन

15 अलग-अलग संगठनों ने मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर संयुक्त राष्ट्र को एक ज्ञापन भेजा है. ज्ञापन में मांग की गई है कि यूएन स्थापित अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून के अनुसार हस्तक्षेप करे. इसके अलावा ज्ञापन में गरीबी, सैन्यीकरण, भारत के केंद्रीय सुरक्षा बलों की भूमिका और कुकी उग्रवादियों द्वारा ऑपरेशन ग्राउंड नियमों के लगातार उल्लंघन जैसे मुद्दों को उठाया गया है.

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विपक्ष लगातार कर रहा था सर्वदलीय बैठक की मांग

मणिपुर के हालातों को लेकर कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार से कह रही थी कि समान विचारधारा वाली 10 पार्टियां 10 जून से मणिपुर हिंसा के मामले में प्रधानमंत्री से मिलना चाह रही हैं. उधर, सीपीआई के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व सांसद डी राजा ने कहा था कि मणिपुर के मुख्यमंत्री अक्षम हो गए हैं. वहां के लोगों का भरोसा उठ गया है.

सोनिया गांधी ने की शांति की अपील

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शांति की अपील करते हुए एक वीडियो जारी किया था. सोनिया गांधी ने कहा था कि मणिपुर में लोगों के जीवन को तबाह करने वाली अभूतपूर्व हिंसा ने हमारे देश की अंतरात्मा पर गहरा घाव छोड़ा है. उन्होंने कहा कि मुझे यह देखकर गहरा दुख हुआ है कि लोगों को उस एकमात्र जगह से पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसे वे अपना घर कहते हैं. सोनिया ने कहा कि हमने लगभग 50 दिनों से मणिपुर में एक बड़ी मानवीय त्रासदी देखी है. इस हिंसा ने राज्य के हजारों लोगों के जीवन को तहस-नहस कर दिया है और कई लोगों को उजाड़ दिया है. मैं उन सभी के प्रति संवेदना व्यक्त करती हूं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को इस हिंसा में खोया है. शांतिपूर्ण तरीके से रहने वाले हमारे भाई-बहनों को एक-दूसरे के खिलाफ होते देखना हृदय विदारक है.

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मणिपुर में कब शुरू हुई हिंसा? 

तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला. ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई.- इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. 3 मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया. रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग हो रही है.

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