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गौला नदी में फावड़े बेल्चों की खन-खन जल्द ही सुनाई देगी। वन विभाग ने नदी में खनन के लिए कार्यादेश जारी कर दिया है। इसके बाद वन विभाग और वन विकास निगम ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। छठ पूजा के बाद नदी में खनन शुरू होगा।

गौला नदी के 1498 हेक्टेयर क्षेत्र में 11 उपखनिज निकासी गेटों पर 7452 वाहनों से खनन होता है। नदी में खनन से हर साल सरकार को दो अरब से ज्यादा का राजस्व प्राप्त होता है, तो प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर 20 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। अमूमन खनन सत्र एक अक्टूबर से शुरू होता है लेकिन नदी में खनन छठ पूजा के बाद ही शुरू होता है।

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दरअसल, नदी में खनन मजूदर अधिकांश बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश के होते हैं। जो छठ पूजा के बाद ही पहुंचते हैं इसलिए नदी में खनन तभी से शुरू होता है। इधर, तराई पूर्वी वन डिवीजन के डीएफओ हिमांशु बागरी ने गौला नदी में खनन के लिए कार्यादेश जारी कर दिया है। इसी के साथ ही वन विभाग और वन विकास निगम को खनन की तैयारियां शुरू करने के निर्देश दिए हैं।

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डीएफओ बागरी ने बताया कि गौला रेंज टीम को नदी में दोनों किनारे छोड़कर 25-25 प्रतिशत की दूरी पर सीमांकन पिलर्स लगाने, नदी व गेट पर मार्ग बनाने और खाई को पाटने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि नियमानुसार खनन के लिए वन निगम के अधिकारियों को भी तैयारी करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि संभावना है कि छठ पूजा के बाद ही नदी में खनन जोर पकड़ेगा।