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चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही अब लोकसभा का समर और गरमाएगा. एक तरफ बीजेपी का दावा है कि मोदी सरकार ने ‘अमृतकाल’ में सुशासन, तेज गति से विकास और भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण का आश्वासन दिया है तो वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस ने मोदी सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल पर सवाल उठाए हैं. ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव में कई ऐसे मुद्दे हैं जो हावी रहेंगे.

लोकसभा के चुनवी रण का शंखनाद हो गया है. चुनाव आयोग ने मतदान की तारीखों का ऐलान कर दिया है. इसी के साथ आचार संहिता भी लागू हो गई. 543 सीटों के लिए चुनाव सात फेज में होगा. पहले फेज की वोटिंग 19 अप्रैल को और आखिरी फेज की वोटिंग 1 जून को होगी. 4 जून को नतीजे आएंगे. वोटिंग से लेकर नतीजे तक इसमें 46 दिन लगेंगे.

लोकसभा चुनाव के पहले फेज में 102 सीटों के लिए 19 अप्रैल को मतदान होगा. दूसरे फेज में 89 सीटों के लिए 26 अप्रैल को वोटिंग होगी. तीसरे फेज में 94 सीटों के लिए 7 मई को वोटिंग होगी. चौथे फेज में 96 सीटों के लिए 13 मई को वोटिंग होगी. पांचवे फेज में 49 सीटों के लिए 20 मई को वोटिंग होगी और सातवें फेज में 57 सीटों के लिए 1 जून को मतदान होगा.

चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही अब लोकसभा का समर और गरमाएगा. एक तरफ बीजेपी का दावा है कि मोदी सरकार ने ‘अमृतकाल’ में सुशासन, तेज गति से विकास और भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण का आश्वासन दिया है तो वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस ने मोदी सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल पर सवाल उठाए हैं. ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव में कई ऐसे मुद्दे हैं जो हावी रहेंगे.

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मोदी की गारंटी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बतौर प्रधानमंत्री अपनी हैट्रिक के लिए पूरी तरह से विश्वास से भरे हुए नजर आ रहे हैं. उन्होंने ‘मोदी की गारंटी’ को अपने अभियान का मुख्य विषय बनाया है. नरेंद्र मोदी की वेबसाइट पर भी ‘मोदी की गारंटी’ को विस्तृत तरीके से बताया गया है. इसमें कहा गया है कि ये युवाओं के विकास, महिलाओं के सशक्तिकरण, किसानों के कल्याण और उन सभी हाशिये पर पड़े व कमजोर लोगों के लिए एक गारंटी है जिन्हें दशकों से नजरअंदाज किया गया है.

कांग्रेस की न्याय गारंटी

देश की सबसे पुरानी पार्टी को हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना के राज्य चुनावों में  उस समय फायदा मिला, जब उसने लोगों को गारंटी दी. लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी ने अपनी 5 ‘न्याय’ गारंटी सामने रखी है, जिसका उद्देश्य युवाओं, किसानों, महिलाओं, मजदूरों के लिए न्याय सुनिश्चित करना और साथ ही सहभागी न्याय सुनिश्चित करना है.

मणिपुर से मुंबई तक राहुल गांधी की अगुवाई वाली भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान लोगों के सामने ‘न्याय’ की गारंटी पेश की गई है. कांग्रेस का घोषणापत्र इन गारंटियों के इर्द-गिर्द तैयार किए जाने की संभावना है और पार्टी अपना अभियान इन्हीं गारंटियों के इर्द-गिर्द तैयार करेगी. हालांकि इसका कितना फायदा पार्टी को मिलेगा, यह तो समय ही बताएगा.

बेरोजगारी और महंगाई

कांग्रेस सहित INDIA गठबंधन में शामिल विपक्षी पार्टियां बेरोजगारी और आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों का मुद्दा उठाती रही हैं. उन्होंने बार-बार कहा है कि नौकरियों की कमी सबसे बड़ा मुद्दा है और इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश की गई. वहीं पेट्रोल-डीजल के दाम हो या फिर रोजमर्रा का सामान, इनकी कीमतों को लेकर भी मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर रही है. हालांकि बीजेपी ने रोजगार वृद्धि और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का हवाला देते हुए पलटवार भी किया है. चुनावी मौसम में बेरोजगारी और महंगाई भी बड़े मुद्दे हैं.

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अनुच्छेद 370, CAA और समान नागरिक संहिता 

अनुच्छेद 370, CAA और समान नागिरक संहिता बीजेपी के लोगों के बीच किए गए वादों में से हैं. बीजेपी ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के कार्यान्वयन और जम्मू-कश्मीर के लिए अनुच्छेद 370 को निरस्त करके अपने वादे पूरे कर दिए हैं. वहीं सीएए को भी लागू कर दिया गया है. इन्हें पार्टी ने समय समय पर मुद्दा बनाया है और इस चुनाव में बीजेपी इन मुद्दों को भुनाने में जुटी है. उत्तराखंड में समान नागरिक संहित लागू हो चुका है. अन्य राज्यों पर बातचीत जारी है.

राम मंदिर 

22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह को बीजेपी ने जबरदस्त उत्साह के साथ मनाया. समारोह का नेतृत्व करने वाले पीएम मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रतीकवाद किसी से भी छिपा नहीं था. बीजेपी नेताओं ने सदियों पुराने सपने को साकार करने का श्रेय प्रधानमंत्री को दिया है. इस अवसर पर हिंदी भाषी क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में भगवा झंडे फहराए गए, इसका प्रभाव हर किसी पर महसूस किया जा सकता है. यहां तक कि विपक्षी नेता भी मानते हैं कि राम मंदिर से बीजेपी को उत्तर भारत में फायदा हुआ है. विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी को कम से कम 370 सीटें मिलने का ज्यादातर भरोसा इसी ‘राम मंदिर लहर’ से उपजा है.

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चुनावी बॉन्ड डेटा 

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद एसबीआई द्वारा उपलब्ध कराए जाने पर चुनाव आयोग ने चुनावी बॉन्ड पर डेटा सार्वजनिक कर दिया है. कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड योजना में कथित भ्रष्टाचार के लिए सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से उच्च स्तरीय जांच और उसके बैंक खातों को फ्रीज करने की मांग की है. चुनाव से ठीक पहले यह मुद्दा सामने आया है और विपक्ष ने इसे लपक लिया है, लेकिन यह जमीनी स्तर पर काम करेगा या नहीं, यह अभी भी देखना बाकी है. हालांकि, यह निश्चित रूप से अभियान के दौरान चर्चा के बड़े विषयों में से एक होगा.

‘अमृत काल’ बनाम ‘अन्य काल’ 

चुनावी मौसम के दौरान एक बड़ा मुद्दा है अमृत काल बनाम अन्य काल. बीजेपी का दावा है कि मोदी सरकार ने सुशासन, तेज गति से विकास और भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण का आश्वासन दिया है. दूसरी ओर, कांग्रेस ने मोदी सरकार के 10 वर्षों को ‘बेरोजगारी, बढ़ती कीमतें, संस्थानों पर कब्जा, संविधान पर हमला और बढ़ती आर्थिक असमानताओं’ वाला ‘अन्य काल’ करार दिया है.

किसानों के मुद्दे और एमएसपी की कानूनी गारंटी 

चुनाव से ठीक पहले दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन भी चर्चा में हावी रहने की संभावना है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने किसानों के साथ विश्वासघात किया है. वहीं किसानों के आंदोलन को देखते हुए राहुल गांधी ने किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी देने का वादा किया है. वहीं बीजेपी नेता किसान नेताओं की चिंताओं को दूर करने के लिए उनसे बातचीत कर रहे हैं और वे आरोप लगाते रहे हैं कि कई आंदोलनकारी राजनीति से प्रेरित हैं.

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