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बिल जमा नही कर पाने पर रांची के जेनेटिक अस्पताल में नवजात से अलग कर महिला को बंधक बनाने के मामले का शुक्रवार को हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया। जस्टिस आर मुखोपाध्याय और जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने स्वास्थ्य सचिव को मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

सिविल सर्जन को भी अस्पताल के निबंधन की जांच का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी।

शुक्रवार को रिम्स से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया गया कि जेनेटिक अस्पताल ने मरीज के साथ अमानवीय व्यवहार किया है। खूंटी के रनिया की सुनीता कुमारी को 28 मई को प्रसव पीड़ा होने के बाद रिम्स रेफर किया गया था पर ऑटो चालक महिला के पति को झांसा देकर उनको जेनेटिक अस्पताल ले गया। जहां बच्चे के जन्म के बाद यह घटना घटी।

जमीन बेचकर दिए दो लाख

अस्पताल प्रबंधन ने मंगलू से 4 लाख रुपए मांगे। उसने जमीन बेचकर 2 लाख दे दिए। शेष 2 लाख देने में उसने असमर्थता जतायी। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने सुनीता को बंधक बना लिया था। सूचना मिलने पर सीआईडी की टीम ने 27 जून को सुनीता को अस्पताल से मुक्त कराया।

सूख गया मां का दूध

23 दिनों के बाद जब सुनीता घर आकर अपने कलेजे के टुकड़े को देखा तो दौड़कर उसे सीने से लगा लिया। उसे अपना दूध पिलाने लगी। पर, मां का दूध सूख चुका था। गांव की महिलाओं ने बताया कि जन्म देने के बाद लंबे समय तक बच्चे को दूध नहीं पिलाने से मां का दूध सूख जाता है। इसके बाद सुनीता रोने लगी।

खाना नहीं मिलता था

सुनीता बताती हैं कि अस्पताल ने उसे खाना देना भी बंद कर दिया था। बच्चे को पहले बूस्टर समेत और कोई टीका नहीं लगाया गया। बानाबीरा निवासी आशिष साहू ने सुनीता की रिहाई में सराहनीय कार्य किया है। आशिष ने बंधक बनाने की जानकारी सीआईडी के डीआईजी अनुराग गुप्ता को दी थी, जिसके बाद छुड़ाया गया।

सीडब्ल्यूसी ने लिया स्वत संज्ञान

कोर्ट को यह भी बताया गया कि जब अस्पताल प्रबंधन ने महिला के पति को नवजात शिशु के साथ घर भेज दिया तो उसने बकरी का दूध पिलाकर शिशु को जिंदा रखा, जब उसकी पत्नी अस्पताल से मुक्त होकर बीते गुरुवार को घर पहुंची तो करीब 23 दिन के बाद बच्चे ने अपनी मां का दूध पिया। इस मामले में सीडब्ल्यूसी ने भी स्वत संज्ञान लिया है।

ब्लैकलिस्ट है जेनेटिक अस्पताल

बूटी रोड स्थित जेनेटिक अस्पताल प्रबंधन महिला को बंधक बनाने से पहले कई अन्य तरह के मामलों में दोषी पाया जा चुका है। अस्पताल एक साल पहले से ही आयुष्मान योजना से ब्लैक लिस्टेड है। अस्पताल प्रबंधन पर आयुष्मान भारत योजना के तहत 62 मामलों में फर्जी तरीके से क्लेम लेने का मामला था। इसमें जांच में जेनेटिक अस्पताल प्रबंधन को दोषी पाते हुए 1.12 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाते हुए ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया था। अस्पताल अब भी ब्लैक लिस्टेड ही है।