नैनीताल दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लालकुआं के अध्यक्ष मुकेश बोरा पर बला आई तो दुग्ध संघ कर्मी उसके सरपरस्त बन गये। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने निष्कासन के बावजूद उसे संरक्षण दिया और इन संरक्षणकर्ताओं में एक कांग्रेसी नेता भी शामिल है।
अभी कुछ और मददगारों के नाम सामने आने बाकी है। इन सभी की मदद से मुकेश 23 दिनों तक पुलिस की आंखों में धूल झोंकता रहा, लेकिन अब मुकेश पुलिस के चंगुल में है और सरपरस्त पुलिस के रडार पर।
कहने को मुकेश बोरा दुग्ध संघ का सरपरस्त था, लेकिन जब उस पर परेशानी आई तो दुग्ध संघ में काम करने वाले उसके सरपरस्त बन गए। हुआ यूं कि 17 सितंबर तक कोर्ट ने मुकेश बोरा की गिरफ्तारी पर सशर्त रोक लगाई थी। इस दौरान उसे लगातार अल्मोड़ा कोतवाली में हाजिरी देने और पुलिस जांच में सहयोग करना था। गिरफ्तारी स्टे खारिज होने से पहले उसने फिर न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल किया, जिसे न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया। इसका ऑर्डर तो नहीं आया, लेकिन मुकेश को भनक लग गई और वह कोर्ट के आदेश को ताक पर रखकर फरार हो गया।
अल्मोड़ा से निकलते ही 18 सितंबर को वह धारी की ब्लॉक प्रमुख आशा रानी और उसके पति परिवहन कर अधिकारी नंदन सिंह आर्या से मिलने उनके घर पहुंचा। उसने भीमताल नगर पालिका के निर्वतमान चेयरमेन देवेंद्र सिंह चनौतिया और प्रापर्टी डीलर सुरेंद्र सिंह परिहार से भी मुलाकात की। फरारी के लिए देवेंद्र सिंह चनौतिया और सुरेंद्र सिंह परिहार ने टैक्सी मुहैया कराई। हल्द्वानी छोड़ने से पहले उसने दुग्ध संघ में अपने करीबियों से कई सिम लिए और भोजीपुरा पहुंच गया। इन करीबी संघ कर्मियों से पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ की, लेकिन किसी ने मुंह नहीं खोला।
मुकेश भोजीपुरा से ई-रिक्शा में बैठा और बरेली पहुंच गया। फिर लखनऊ, नोए़डा, फरीदाबाद, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान और लौटकर उत्तर प्रदेश के रामपुर पहुंचा, जहां से उसे गिरफ्तार कर लिया गया। फरारी के दौरान वह लगातार सिम बदल कर इस्तेमाल करता रहा।
काबू में आया टैक्सी चालक तो खुलने लगे राज
भोजीपुरा छोड़ने के दौरान मुकेश की परिवहन कर अधिकारी और प्रापर्टी डीलर से लगातार टैक्सी चालक के मोबाइल से बात हो रही थी। पुलिस को इसकी भनक लग चुकी थी, लेकिन जब तक पुलिस मुकेश को पकड़ पाती वह फरार हो चुका था। हालांकि टैक्सी का नंबर ट्रेस हो चुका था। पुलिस ने टैक्सी चालक से उसके मोबाइल पर संपर्क किया और भागने पर फंसने का डर दिखाया। कहा कि वह पास में मौजूद चौकी या थाने पहुंचे। जिसके बाद वह पुलभट्टा थाने पहुंचा और यहां पुलिस के सामने चालक तोते की तरह सारे राज खोलने लगा।
टैक्सी पकड़ी गई तो मुकेश ने बदला पैंतरा
टैक्सी चालक के पकड़े जाने की भनक मुकेश को लग चुकी थी। वह समझ चुका था कि अगर उसने निजी वाहन का इस्तेमाल किया तो पकड़ा जाएगा। टैक्सी छोड़ते ही वह टुकटुक पर सवार हुआ और फिर सार्वजनिक यातायात जैसे परिवहन की बस आदि का इस्तेमाल करते हुए एक शहर से दूसरे शहर और इस राज्य से दूसरे राज्य तक फरारी काटता रहा। बड़ी बात यह है कि फरारी के दौरान वह किसी होटल में नहीं रुका। क्योंकि अगर वह होटल में रुकता तो उसे अपनी पहचान जाहिर करनी पड़ती, ऐसे में पकड़े जाने का खतरा था।
दुग्ध संघ में नौकरी कर रहा है आधा च्यूरी गाड़
मुकेश बोरा मूलरूप से च्यूरीगाड़ धारी का रहने वाला है। वह इसी क्षेत्र से अपनी राजनीतिक पृष्ठ भूमि का तानाबाना बुन रहा था। दुग्ध संघ में अपने कार्यकाल के दौरान उसने बड़ी संख्या में अपने रिश्तेदारों, करीबियों और च्यूरीगाड़ के लोगों की दुग्ध संघ में नौकरी लगाई। इन्हीं लोगों ने उसे अपने सिम और मोबाइल उपलब्ध कराए, जो फरारी के दौरान उसके काम आये। हल्द्वानी की एक लड़की ने भी उसे अपनी आईडी पर सिम दिलाया। मुकेश एक मोबाइल का एक या दो बार ही प्रयोग करता और फिर फेंक देता था। फोन पर वह अपने करीबियों से किसी तीसरे व्यक्ति के जरिये बात करता था।
20 लोगों की पुलिस टीम ने 24 दिन में की गिरफ्तारी
मुकेश बोरा एक सितंबर से पुलिस से आंख मिचौली खेल रहा था। 20 लोगों की टीम 23 दिनों से उसके पीछे लगी थी। 24वें दिन पुलिस को सफलता मिली। टीम में एसपी सिटी प्रकाश चन्द्र आर्या, सीओ सिटी नितिन लोहनी, लालकुआं कोतवाल दिनेश सिंह फर्त्याल, रामनगर कोतवाल अरुण सैनी, बनभूलपुरा थानाध्यक्ष नीरज भाकुनी, एसओजी प्रभारी संजीत राठौर, एसआई गौरव जोशी, एसआई अनीश अहमद, एसआई सोमेन्द्र सिंह, एसआई दिनेश जोशी, एसआई वंदना चौहान, हेड कांस्टेबल त्रिलोक सिंह रौतेला, ललित श्रीवास्तव, कांस्टेबल गुरमेज सिंह, चंदन नेगी, अनिल शर्मा, अशोक कम्बोज, लक्ष्मण राम, बलवंत सिंह व अनिल गिरी थे। एसएसपी ने टीम को ढाई हजार रुपये का इनाम दिया है।
कब क्या हुआ
– 1 सितंबर को मुकेश बोरा के खिलाफ लालकुआं कोतवाली में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज हुआ।
– 2 सितंबर को पीड़ित के 164 के बयान दर्ज हुए।
– 3 सितंबर को गिरफ्तारी न होने पर पीड़िता ने आत्मदाह की चेतावनी दी।
– 4 सितंबर को मुकेश बोरा ने एडीजी न्यायालय में जमानत के लिए प्रार्थना पत्र दिया और लालकुआं थाने में बोरा के खिलाफ पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज हुआ।
– 6 सितंबर को जिला सत्र न्यायाधीश ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज की।
– 7 सितंबर को गिरफ्तारी के लिए पुलिस की सात टीमें गठित की गईं।
– 10 सितंबर को गिरफ्तारी के लिए न्यायालय से गैर जमानती वारंट जारी हुआ।
– 17 सिंतबर को मुकेश बोरा मामले में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई।
– 18 सितंबर को हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक संबंधी याचिका खारिज की।
– 19 सितंबर को भीमताल में मुकेश बोरा देखा गया।
– 19 सितंबर को बोरा के दो अन्य घरों पर कुर्की का नोटिस चस्पा हुआ।
– 21 सितंबर को अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज की।
– 24 सितंबर को मुकेश रामपुर के चक्कू चौक से गिरफ्तार किया गया।
अध्यक्ष पद को लेकर संशय की स्थिति
मुकेश बोरा की गिरफ्तारी के बाद अब दुग्ध संघ अध्यक्ष पद को लेकर संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है। उसकी गिरफ्तारी के बाद संघ का अगला अध्यक्ष कौन होगा? इस संबंध में डेरी निबंधक से दूरभाष पर संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका नंबर नॉट रीचेबल था। बोरा की गिरफ्तारी के बाद क्षेत्र में दुग्ध संघ अध्यक्ष पद को लेकर तमाम चचाएं हो रही हैं।