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माफिया मुख्तार अंसारी को एमपी-एमएलए कोर्ट ने शनिवार को गैंगस्टर एक्ट में दस साल की सजा सुनाई. साथ ही उसके भाई अफजाल अंसारी को भी चार साल की सजा सुनाई गई. सजा सुनाए जाने के बाद गाजीपुर के एडिशनल एसपी रहे शंकर जायसवाल ने सोमवार को मुख्तार अंसारी के आतंक की कहानी बयां की है.

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मुख्तार अंसारी अतीक अहमद से भी ज्यादा खतरनाक है. वो कभी भी पलट सकता है. उसकी बात पर कभी भरोसा नहीं किया जाना चाहिए. वो बेहद शातिर है. ये कहना है गाजीपुर के एडिशनल एसपी रहे शंकर जायसवाल का. नब्बे के दशक में खुद पर हुए हमले को याद करते हुए जायसवाल ने मुख्तार के आंतक की कहानी बयां की है.

शंकर जायसवाल कहते हैं, घटना 27 फरवरी 1996 की दोपहर 12:30 बजे थाना कोतवाली के लंका बस स्टैंड की है. डिग्री कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव चल रहे थे. पुलिस को इनपुट मिला था की एक गाड़ी (UP 61, 8989) में असलहे से लैस कुछ लोग माहौल खराब कर सकते हैं. इस वजह से पुलिस चेकिंग कर रही थी. तभी इंस्पेक्टर ने बसपा जिलाध्यक्ष लिखी जीप को रोका. इसमें मुख्तार अंसारी सवार था. जीप रोकने पर मुख्तार ने कहा किसकी औकात है जो मुख्तार की गाड़ी की चेकिंग करे. ये कहते ही उसने फायरिंग शुरू कर दी.

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‘वो गाजीपुर जेल का सिपाही साहब सिंह था

इसके बाद पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू की. इसमें गोली लगने से मुख्तार की गाड़ी पंचर हो गई और गाड़ी से कूदे एक शख्स के पैर में गोली लगी. मगर, मुख्तार पंचर जीप लेकर भाग गया. पुलिस ने जब घायल शख्स को जेल पहुंचाया तो पता चला कि वो गाजीपुर जेल का सिपाही साहब सिंह था. वह अपनी लाइसेंसी राइफल से मुख्तार के साथ चल रहा था. इतना ही नहीं मुख्तार की एक अन्य गाड़ी से जेल के एक अन्य सिपाही उमाशंकर की बंदूक भी मिली.

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‘उस जिप्सी का पहला मालिक अतीक अहमद था’

मुख्तार अंसारी की यही मॉडस ऑपरेंडी रही है. वो जेल के सिपाहियों को गाय, भैंस खरीद देता. उनके लिए हथियार के लाइसेंस बनवाता. यही सिपाही 8 घंटे की ड्यूटी करने के बाद मुख्तार के साथ अपनी लाइसेंसी बंदूक के साथ सुरक्षा में चलते थे. उसी में एक साहब सिंह था, जो फायरिंग में घायल हुआ था.

‘वारदात वाले दिन जिप्सी में सवार लोग अतीक के थे’

मुख्तार के काफिले में एक और जिप्सी (UP70 D 4525) थी. उस जिप्सी का पहला मालिक अतीक अहमद था.  उसने इस जिप्सी को 29 अक्टूबर 1993 को तेलियरगंज के सुरेश चंद शुक्ला को बेची थी. वारदात वाले दिन जिप्सी में सवार लोग अतीक के ही थे.

जिस जीप में मुख्तार सवार था वो जेके इंडस्ट्रीज नई दिल्ली के नाम पर थी. इसका सेल लेटर मुख्तार के गुर्गे और मौजूदा समय में दो लाख के इनामी शाहबुद्दीन के नाम पर था. मगर, गाड़ी शहाबुद्दीन के नाम ट्रांसफर नहीं थी.

‘अब उसको सजा मिल रही है, परिस्थितियां बदली हैं’

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कृष्णानंद राय हत्याकांड, नंद किशोर रूंगटा अपहरण हत्याकांड या फिर मेरे ऊपर हुआ हमला, इन सभी केस में मुख्तार अंसारी ने गवाहों को तोड़कर, धमकाकर या उनकी हत्या करवाकर छूट गया. यह उसके सिंडिकेट और सिस्टम का ही परिणाम है. मगर, अब उसको सजा मिल रही है, परिस्थितियां बदली हैं.

बता दें कि मुख्तार अंसारी को शनिवार को एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट में दस साल की सजा सुनाई. साथ ही उसके भाई अफजाल अंसारी को भी चार साल की सजा सुनाई गई.

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