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नैनीताल, हाईकोर्ट ने देहरादून के चकराता में वर्ष 2014 में हुई बहुचर्चित प्रेमी युगल की हत्या के मुख्य आरोपी राजू दास को निचली अदालत की ओर से दी गई फांसी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की।

न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी व न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध नहीं होने पर सभी अभियुक्तों को बरी करने के आदेश दिए हैं। इस मामले में खंडपीठ ने पिछले माह ही निर्णय सुरक्षित रख लिया था।

मामले के अनुसार अभिजीत पाल पुत्र अतुल पाल निवासी कोलकाता पश्चिम बंगाल हाल निवासी नई दिल्ली और मोमिता दास पुत्री मृणाल कृष्णादास निवासी लाडोसराय नई दिल्ली 22 अक्टूबर 2014 को दिवाली की छुट्टियों में देहरादून के चकराता आए थे।

इसके अगले ही दिन टाइगर फॉल घूमने के बाद दोनों लापता हो गए। मोमिता के घरवालों ने 23 अक्टूबर 2014 को उसे फोन लगाया तो संपर्क नहीं हो पाया। इसके बाद उन्होंने नई दिल्ली के लाडोसराय थाने में मोमिता की गुमशुदगी दर्ज की। पुलिस जांच में मोमिता के फोन की आखिरी लोकेशन चकराता में मिली और आईएमइआई नंबर के आधार पर उसके मोबाइल में राजूदास के नाम का सिम भी ट्रेस हो गया। दिल्ली पुलिस ने विकासनगर और चकराता पुलिस को साथ लेकर राजू दास की तलाश शुरू की।

पुलिस ने राजूदास को लाखामंडल, चकराता और टाइगर फॉल में तलाशा। बाद में पुलिस ने राजूदास को गिरफ्तार किया। कड़ी पूछताछ के बाद राजू दास ने कबूला था कि उसने गुड्डू, बबलू और कुंदनदास के साथ मिलकर प्रेमी जोड़े की हत्या की है। आरोपियों की निशानदेही पर मोमिता का फोन, पर्स व कपड़े पुलिस ने बरामद किए थो। वहीं नौगांव से दो किमी दूर यमुना नदी किनारे से पुलिस को एक शव मिला।

इसकी शिनाख्त अभिजीत के रूप में हुई और 21 दिन बाद ही मोमिता दास का भी सड़ा गला शव डामटा के पास यमुना किनारे से बरामद हुआ था।  27 मार्च 2018 को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ढकरानी मोहम्मद सुल्तान की अदालत ने प्रेमी जोड़े से लूट, उनकी हत्या और साक्ष्य छिपाने पर राजू दास को फांसी और उसके तीन अन्य साथी कुंदन दास, गुड्डू व बबलू को आजीवन कारावास की सजा सुनवाई थी। इस आदेश के खिलाफ  अभियुक्तों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।