खबर शेयर करें -

8 अप्रैल 2021 को भवाली थाने में एक महिला ने अपनी नाबालिग बेटी के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मामले में एक युवक पर किशोरी से दुष्कर्म करने भी आरोप था। आरोपी को हल्द्वानी की कोर्ट ने दोषी मानते हुए 20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।

छात्रा से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो/ अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी हल्द्वानी की कोर्ट ने दोषी मानते हुए 20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 20 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया। घटना भवाली थाना क्षेत्र की है, जहां पड़ोस में रहने वाले युवक ने कक्षा नौ में पढ़ने वाली छात्रा से दुष्कर्म किया, जिससे वह गर्भवती हो गई। बाद में उसे भगाकर बहन के घर ले गया था।

यह भी पढ़ें -  उधमसिंह नगर में 82 लाख की स्मैक के साथ दो नशा तस्कर गिरफ्तार, यूपी से जुड़े हैं तार

8 अप्रैल 2021 को भवाली थाने में एक महिला ने अपनी नाबालिग बेटी के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मामले में एक युवक पर किशोरी से दुष्कर्म करने भी आरोप था। मामले की जानकारी देते हुए लोक अभियोजन वकील नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि आरोपी गिरीश चंद्र किशोरी के पड़ोस में रहता था। उसने किशोरी के घर में मजदूरी की थी। इसी दौरान उससे उसकी जान पहचान हो गई।

यह भी पढ़ें -  हल्द्वानी: रात पुलिस ने पकड़कर छोड़ा, भोर में चोर दूसरे घर में कूदा

एक जनवरी 2021 को आरोपी ने किशोरी के घर में ही जबरन शारीरिक संबंध बनाए। इसकी शिकायत करने पर पीड़िता को धमकी भी दी थी। बताया कि 8 अप्रैल 2021 को किशोरी की हालत अचानक बिगड़ी तो उसकी स्वास्थ्य जांच कराई गई। अल्ट्रासाउंड कराने में पता चला वह तीन माह की गर्भवती है। आठ जनवरी को किशोरी स्कूल गई। इसी दौरान रास्ते में गिरीश चंद्र मिल गया। उसने गिरीश को गर्भवती होने की बात बताई। इस पर गिरीश उसे अपनी बहन के घर नैनीताल ले गया। नौ अप्रैल 2021 को पुलिस ने किशोरी को आरोपी की बहन के घर से बरामद कर लिया। साथ ही आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया।

यह भी पढ़ें -  हल्द्वानी: पत्नी से जोर-जबरदस्ती, जेवर लेकर भागा पति

लोक अभियोजक की ओर से मामले में सात गवाह पेश किए गए। वहीं कोर्ट के आदेश और परिजनों की सहमति से किशोरी का गर्भपात कराया गया। भ्रूण की जांच में गिरीश ही उसका बायोलॉजिकल पिता निकला। कहा कि विशेष न्यायाधीश पॉक्सो/अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी नंदन सिंह रावत ने गिरीश चंद्र को दोषी मानते हुए 20 साल की कैद और 20 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है।