निर्जला एकादशी पर बिना जल ग्रहण किए उपवास रखने से साल की सारी एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त हो जाता है. इसके अलावा धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति भी होती है.
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निर्जला एकादशी के उपवास की विधि (Nirjala Ekadashi 2023 Pujan vidhi)
सवेरे-सवेरे स्नान करके सूर्य देवता को जल अर्पित करें. इसके बाद पीले वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु की पूजा करें. उन्हें पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. इसके बाद श्री हरि और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें. किसी निर्धन व्यक्ति को जल, अन्न या वस्त्र का दान करें. यह व्रत निर्जला ही रखना पड़ता है, इसलिए जल ग्रहण बिल्कुल न करें. हालांकि विशेष परिस्थितियों में जलीय आहार और फलाहार लिया जा सकता है.
निर्जला एकादशी शुभ मुहूर्त (Nirjala Ekadashi 2023 Shubh muhurt)
ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि 30 मई को दोपहर में 01 बजकर 07 मिनट से लेकर 31 मई को दोपहर को 01 बजकर 45 मिनट तक रहेगी. उदिया तिथि के चलते निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई यानी आज रखा जाएगा. निर्जला एकादशी पर आज सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है, जो सुबह 05 बजकर 24 मिनट से सुबह 06 बजे तक हैं. निर्जला एकादशी के व्रत का पारण 01 जून को किया जाएगा. पारण का समय सुबह 05 बजकर 24 मिनट से सुबह 08 बजकर 10 मिनट तक है.
निर्जला एकादशी पर क्या करें?
सल की सबसे बड़ी एकादशी पर निर्जला उपवास का संकल्प लें. प्रातः और सायंकाल अपने गुरु या भगवान विष्णु की उपासना करें. रात्रि में जागरण करके अगर श्री हरि की उपासना अवश्य करें. इस दिन ज्यादा से ज्यादा समय मंत्र जाप और ध्यान में लगाएं. जल और जल के पात्र का दान करना विशेष शुभकारी होगा.
निर्जला एकादशी पर क्या करें क्या न करें
1. निर्जला एकादशी के दिन चावल नहीं बनाने चाहिए.
2. एकादशी तिथि के दिन तुलसी के पत्ते न तोड़ें. यदि पत्ते बेहद आवश्यक हैं तो आप एक दिन पहले ही पत्तों को तोड़ कर रख सकते हैं.
3. इसके अलावा निर्जला एकादशी के दिन शारीरिक संबंध बनाने से बचें.
4. इस दिन घर में प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा का सेवन ना करें.
5. साथ ही किसी से लड़ाई-झगड़ा ना करें, किसी का बुरा ना सोचें, किसी का अहित ना करें, और ना ही क्रोध करें.
निर्जला एकादशी कथा (Nirjala Ekadashi 2023 Katha)
महाभारत काल के समय एक बार पाण्डु पुत्र भीम ने महर्षि वेद व्यास जी से पूछा- ” हे परम आदरणीय मुनिवर! मेरे परिवार के सभी लोग एकादशी व्रत करते हैं व मुझे भी व्रत करने के लिए कहते हैं. लेकिन मैं भूखा नहीं रह सकता हूं. अत: आप मुझे कृपा करके बताएं कि बिना उपवास किए एकादशी का फल कैसे प्राप्त किया जा सकता है. “
भीम के अनुरोध पर वेद व्यास जी ने कहा- “पुत्र तुम निर्जला एकादशी का व्रत करो, इसे निर्जला एकादशी कहते हैं. इस दिन अन्न और जल दोनों का त्याग करना पड़ता है. जो भी मनुष्य एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना पानी पिए रहता है और सच्ची श्रद्धा से निर्जला व्रत का पालन करता है, उसे साल में जितनी एकादशी आती हैं, उन सब एकादशी का फल इस एक एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है. ” महर्षि वेद व्यास के वचन सुनकर भीम निर्जला एकादशी व्रत का पालन करने लगे और पाप मुक्त हो गए.
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