जबलपुर में रेलवे कर्मचारी और उनके 8 साल के बेटी की हत्या करने वाला अब जेल में बंद है. लेकिन उसकी हरकतों से पुलिस भी परेशान हो गई है. मुकुल सेंट्रल जेल से किसी भी कीमत पर बाहर आना चाहता है.
उसे लगता है कि घर वाले उसकी जमानत करवा देंगे. लेकिन परिवार का कोई भी सदस्य उससे मिलने नहीं आ रहा. वह इतना बेचैन हो गया है कि जेल से बाहर निकलने की नई-नई तरकीब लगा रहा है. पुलिस वालों से लेकर जेल में बंद साथी कैदियों से पूछ रहा है कि यहां से बाहर कैसे निकला जा सकता है?
यूं तो आरोपी की हर हरकत पर 24 घंटे नजर रखी जा रही है. लेकन जिस तरह से वह हरकतें कर रहा है उससे पुलिसवाले भी परेशान हो गए हैं. जबलपुर में बाप बेटे को मार डालने वाले मुकुल ने वारदात को अंजाम देने के 76 दिन बाद सरेंडर किया था. इससे पहले उसकी गर्लफ्रेंड और रेलकर्मी की नाबालिग बेटी को पुलिस ने हरिद्वार से पकड़ा था. पिता-भाई की हत्या करने में उसने भी मुकुल का साथ दिया था. 1 जून की रात सिविल लाइन थाना पुलिस मुकुल को लेकर मिलेनियम कॉलोनी पहुंची. यहां 15 मार्च को हुए मर्डर का रिक्रिएशन किया.
गर्लफ्रेंड के पिता भाई को मार डाला
जबलपुर में 15 मार्च शुक्रवार को 52 साल के रेलवे कर्मचारी राजकुमार और उसके 8 साल के बेटे तनिष्क का शव लहूलुहान हालत में उनके सरकारी आवास में मिला था. बेटे का शव फ्रिज में पॉलीथिन में लिपटा मिला. पिता-पुत्र के शव पर धारदार हथियार के निशान थे. वहीं, 14 साल की बेटी लापता थी. सुबह करीब 8:30 बजे राजकुमार की बेटी के मोबाइल से उनके रिश्तेदारों को मैसेज भेजा गया. इसमें कहा गया- मैं मुकुल हूं. मैंने राजकुमार और तनिष्क को मार डाला है.
हत्या का पछतावा नहीं
हत्यारोपी मुकुल सिंह को 6 जून को केंद्रीय जेल लाया गया था. अभी वो स्पेशल सेल में कैद है. जहां बंदियों की विशेष निगरानी रहती है. यह सेल सामान्य बैरकों से अलग बनी है. यहां 24 घंटे जेल प्रहरी और अन्य बंदियों को तैनात किया है. जेल अफसरों का कहना है कि मुकुल को दो-दो हत्याएं करने का बिल्कुल भी पछतावा नहीं है. उसके चेहरे पर कोई शिकन या पछतावा नहीं दिखता. जेलर ने कहा कि वह जब कभी जेल प्रहरियों से बात करता है, तो यही पूछता है कि जेल से बाहर निकलने का तरीका क्या है?