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जरायम की दुनिया के कुख्यात प्रकाश पांडे उर्फ पीपी ने अब आध्यात्म की ओर रुख करने का विचार बनाया है। इसके लिए उसने 13 मार्च को अल्मोड़ा जेल के अधीक्षक को एक विनम्र पत्र लिखा है।

जिसमें अल्मोड़ा जेल के बाहर मंदिर में पूजा करने व संन्यास के रास्ते पर चलने की अनुमति देने का आग्रह किया है। बहरहाल यह उसकी बाहर आने की साजिश है या अतीत के अपराध का बोध, यह तो वक्त ही बताएगा और जेल प्रशासन का निर्णय।

जरायम की दुनिया में कदम रखने के साथ पीपी ने अवैध शराब के साथ ही लीसे की रानीखेत, नैनीताल, हल्द्वानी, अल्मोड़ा में तस्करी शुरू की थी। अवैध कामों से उसकी कमाई बढ़ी तो दुस्साहस भी बढ़ गया। उसने और रुपये कमाने के लिए मुंबई जाकर डान बनने की ठानी।

फिर 90 के दशक में उसने अकेले मुंबई का रुख कर लिया। प्रकाश के मुंबई पहुंचने के दौरान देश बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद फैली सांप्रदायिक हिंसा की आग में जल रहा था। इसी दौरान हुए मुंबई ब्लास्ट को लेकर लोगों में रोष था। ब्लास्ट का जिम्मेदार दाऊद को बताया गया।

यही वह दौर था जब छोटा राजन ने दाऊद इब्राहिम से अलग होकर अपना अलग गैंग बनाया। छोटा राजन को अपनी गैंग के लिए कुछ दुस्साहसी शूटरों की जरूरत थी। ऐसे में मुंबई के सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर प्रकाश की मुलाकात छोटा राजन गैंग के गैंगस्टर पुनीत तानाशाह और विक्की मल्होत्रा से हुई। पुनीत और विक्की ने प्रकाश की मुलाकात छोटा राजन से करवाई थी।

छोटा राजन गैंग में भर्ती करने से पहले सामने वाले का दुस्साहस और भरोसा परखता था। प्रकाश पांडे में कितना दमखम है, देखने के लिए उसने उसे एक कांट्रेक्ट किलिंग का ठेका दिया। ये कांट्रेक्ट छोटे-मोटे आदमी को मारने का नही था बल्कि राजनीति के दिग्गज एक नेता की हत्या का था। प्रकाश को मुंबई का डान बनना था। इसलिए उसने उस नेता के सुरक्षा घेरे को तोड़कर उसके माथे के बीचोंबीच गोली मार दी।

जब दाऊद की हत्या करने पाकिस्तान पहुंचा

मुंबई को बम धमाकों से दहलाने के बाद दाऊद इब्राहिम अपना धंधा छोटा शकील सौंपकर पाकिस्तान में जा छिपा। जिसके बाद छोटा राजन बंटी पांडे, विक्की मल्होत्रा और पुनीत तानाशाह ने दाऊद की हत्या की प्लानिंग बनाई, लेकिन प्लान फेल हुआ। छोटा राजन चाहता था कि मुंबई से दाऊद का सूपड़ा साफ हो जाए और उसकी गैंग मुंबई में अपना खौफ पैदा कर राज कर सके, लेकिन पाकिस्तान कौन जाए, यह उलझन थी। बंटी उर्फ प्रकाश ने छोटा राजन के इस मिशन को लीड करने का एलान किया और पाकिस्तान पहुंच गया।

मलेशिया से पकड़ा गया था पीपी

प्रकाश पांडे ने वियतनाम में शरण ली थी। जिसके बाद मुंबई क्राइम ब्रांच ने उसकी काल ट्रेस कर ली और साल 2010 में उसे वियतनाम से दबोच लाई। प्रकाश को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। पहले उसे देहरादून जेल में रखा गया। जेल में भी प्रकाश की धमक नजर आई। एक बार उसे पेशी पर ले जाया जा रहा था तो उसने ईयरबड्स लगा रखे थे। फोटो वायरल होने पर पुलिस की काफी किरकिरी हुई थी। जिसके बाद उसे सितारगंज सेंट्रल जेल ट्रांसफर कर दिया गया। फिर टिहरी और अब अल्मोड़ा जेल में बंद है।

ये लिखा है पत्र में पीपी ने

महोदय निवेदन इस प्रकार है कि मैं प्रकाश पांडे उर्फ पीपी निर्मला कांवेंट स्कूल के पीछे दमुवाढूंगा हल्द्वानी का रहने वाला हूं। मैं वर्तमान में अपने जीवन में किए कार्यों का पश्चताप कर रहा हूं। अब मेरा हृदय पूर्ण रूप से परिवर्तित हो चुका है। मुझे ये अनुभूति हो गई है कि परिस्थिति वश मेरे द्वारा किए गए कार्य गलत थे। और मैं गलत राह पर था। किंतु अब मेरी आध्यात्मिक चेतना जागृत हो चुकी है। ईश्वर के प्रति निष्ठावान होकर अपना संपूर्ण जीवन देश सेवा, राष्ट्र सेवा, गौ सेवा में समर्पित करना चाहता हूं। सनातन धर्म के अनुसार संन्यास अपनाना चाहता हूं। इसके लिए मुझे मार्गदर्शन के साथ कारागार के मंदिर प्रांगण में अनुष्ठान के आयोजन की अनुमति प्रदान की जाए। जिसके लिए मैं आपका आभारी रहूंगा। इस पत्र के अंत में पीपी ने अपना नाम और पूरा पता भी लिखा है।

पीपी के पत्र लिखने की जानकारी सुनने में आ रही है। जिसकी जांच कराई जाएगी। इस संबंध में अल्मोड़ा जेल अधीक्षक से भी वार्ता को जाएगी।

-दधिराम मौर्या, डीआइजी जेल।