ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए कंप्यूटर टेस्ट की अनिवार्यता है। यह टेस्ट दे पाना निरक्षर व्यक्तियों के बस की बात नहीं। इसके चलते अनपढ़ व्यक्ति डीएल के लिए आवेदन नहीं कर पाते। हालांकि मानवाधिकार आयोग के निर्देश के बाद परिवहन विभाग ने इस दिशा में कार्रवाई शुरू कर दी है। उम्मीद है निरक्षर व्यक्तियों के डीएल बनाने के लिए कंप्यूटर टेस्ट की जगह कुछ वैकल्पिक इंतजाम किए जा सकते हैं।
ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) बनाने के लिए उत्तराखंड में कंप्यूटर टेस्ट की अनिवार्यता है। यह टेस्ट दे पाना निरक्षर व्यक्तियों के बस की बात नहीं। इसके चलते अनपढ़ व्यक्ति डीएल के लिए आवेदन नहीं कर पाते। हालांकि, मानवाधिकार आयोग के निर्देश के बाद परिवहन विभाग ने इस दिशा में कार्रवाई शुरू कर दी है। उम्मीद है निरक्षर व्यक्तियों के डीएल बनाने के लिए कंप्यूटर टेस्ट की जगह कुछ वैकल्पिक इंतजाम किए जा सकते हैं।
निरक्षर व्यक्तियों को ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में आ रही दिक्कत को देखते हुए आरटीआई कार्यकर्ता मो. आशिक ने मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने इसे मानवाधिकारों का हनन व निरक्षर व्यक्तियों का अपमान बताते हुए डीएल के लिए वैकल्पिक इंतजाम कराने की मांग उठाई थी।
शिकायत पर सुनवाई करते हुए मानवाधिकार आयोग के सदस्य आरएस मीणा ने प्रमुख सचिव परिवहन को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए थे। आयोग के निर्देश के क्रम में अब अपर सचिव परिवहन नरेंद्र कुमार जोशी ने परिवहन आयुक्त को पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने निरक्षर व्यक्तियों के ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की दिशा में आवश्यक कदम उठाने को कहा है।