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खनन की रॉयल्टी में संशोधन दरों का मामला 20 जनवरी को हुई कैबिनेट की बैठक में आया था लेकिन तब पूरी कैबिनेट की बैठक जोशीमठ के मुद्दे पर केंद्रित रही थी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने इसे विचलन से मंजूरी दी थी।

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उत्तराखंड की आय के प्रमुख स्रोतों में से एक खनन की रॉयल्टी पर धामी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। रॉयल्टी दरों में एकरूपता लाने के साथ ही प्रदेश में वन स्टेट-वन रॉयल्टी नीति लागू हो गई है। सोमवार को भराड़ीसैंण में हुई धामी कैबिनेट की बैठक में खनन की रॉयल्टी संशोधन दरों पर मुहर लग गई है।

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खनन की रॉयल्टी में संशोधन दरों का मामला 20 जनवरी को हुई कैबिनेट की बैठक में आया था लेकिन तब पूरी कैबिनेट की बैठक जोशीमठ के मुद्दे पर केंद्रित रही थी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने इसे विचलन से मंजूरी दी थी। इसके बाद अधिसूचना जारी कर दी गई थी। इससे पूर्व शासन के निर्देश पर वन विकास निगम और खनन विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार किया था। दोनों विभागों की रॉयल्टी दरें अलग-अलग थीं।

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लंबे समय से मांग कर रहे थे कारोबारी

खनन कारोबारियों और आम लोगों की ओर से इन दरों में एकरूपता लाने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के क्रम में आरक्षित वन क्षेत्रों में उपखनिज का चुगान (खनन) वन विभाग की ओर से वन विकास निगम को सौंपा गया है।

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इसके अलावा राजस्व क्षेत्र की नदियों में खनन विभाग की देखरेख में खनन होता है। वहीं, शासन-प्रशासन की अनुमति के बाद निजी पट्टों पर भी खनन किया जाता है। खास बात यह कि तीनों तरह के खनन में रॉयल्टी की दरें भिन्न-भिन्न थीं। रायॅल्टी की दरें एक समान लागू होने से जहां अवैध खनन के मामलों में कमी आएगी वहीं निर्माण सामग्री सस्ती होने से लोगों को घर इत्यादि बनाने में राहत मिलेगी।