बागेश्वर धाम के पं. धीरेंद्र शास्त्री के चमत्कार पर सवाल उठ रहे हैं. तर्क-विज्ञान की कसौटी पर बाबा के चमत्कारों को परखने की कोशिश की जा रही है. आखिर बाबा के मन में क्या चलता है? क्या बाबा के पास कोई चमत्कारिक शक्ति है. इस सवालों को लेकर मनोचिकित्सक, मेंटलिस्ट और मैजिशियन से बात की गई. जानिए विस्तार से, उन्होंने क्या कहा..
बागेश्वर धाम वाले कथा वाचक पं. धीरेंद्र शास्त्री को लेकर हंगामा थम नहीं रहा है. बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बिना कोई सवाल पूछे लोगों की परेशानी जान लेने और उनकी समस्या का निदान बताने का दावा करते हैं. ऐसे कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं. क्या ऐसा संभव है? इस मामले को लेकर मनोचिकित्सक ने भी अपनी राय रखी है.
पं. धीरेंद्र शास्त्री आखिर किसी व्यक्ति से जुड़ी बातें पर्ची पर पहले से कैसे लिख लेते हैं? इस सवाल को लेकर जादूगर सुरेंद्र का कहना है कि आस्था ही जीवन का आधार है और उस पर ही विश्वास है. विश्वास के साथ आज के समय में जो आज का हिंदुस्तान है, आज का देश है.
उन्होंने कहा, “आज के समय की टेक्नोलॉजी इतनी हाईफाई है कि सबकुछ संभव है, लेकिन आस्था के नाम पर मैं किसी धर्म अनुयायी को या किसी व्यक्ति को या किसी विशेष समुदाय पर कोई बात नहीं कहना चाहता. उन्होंने कहा कि अगर आस्था और विश्वास के साथ-साथ अंधविश्वास बढ़ता है और अंधविश्वास को आगे फैलावा दिया जाता है तो यह प्रश्नात्मक हो जाता है.”
सुरेंद्र ने कहा कि अब जैसे कोई महाराज किसी से कहते हैं कि “ऐ बच्चे, तू येलो कलर की शर्ट पहनी हुई है, दिल्ली से आई हुई है, खड़ी होके यहां आजा पहले, तो ये मेरे हिसाब से ये चीजें टेक्नोलॉजी में आती हैं. उन्होंने कहा कि आजतक बहुत ही छोटे साइज के आते हैं, अगर उन्हें हम अपने कानों में लगा लें तो ऐसे में कोई रिंग करके बताता रहता है. उन्होंने कहा कि हम लोग अपने मैजिक में भी इसको यूज कर लेते हैं. उन्होंने कहा कि अगर किसी को बुलाकर उसे भरोसे में लेकर उसका धन-धान्य लेना शुरू कर दिया जाए तो ये ठीक नहीं है.
क्या कहते हैं मनोचिकित्सक संदीप वोहरा?
वहीं, मनोचिकित्सक डॉ. संदीप वोहरा ने कहा कि जिस वीडियो में लोग झूमते हुए दिख रहे हैं, ये मास हिस्टीरिया का पार्ट है. ये वेल नोन है कि ये मरीज की हिस्टेरिकल स्टेट होती है. जो मानसिक रूप से ज्यादा परेशान होते हैं या किसी तरीके की मानसिक समस्या का सामना कर रहे होते हैं. मेरे पास या अन्य मनोचिकित्सकों के पास इस तरह के पेशेंट रोज आते हैं.
उन्होंने कहा कि ऐसे मरीजों के केस में साइकेट्रिकली पेशेंट के अंदर डिप्रेशन, एंग्जाइटी या साइकोसिस का एलीमेंट होता है. WHO की मेंटल हेल्थ की क्लासिफिकेशन में इसको हिस्टेरिकल साइकोसिस या पोजिशन स्टेट कहा जाता है. ये जो मानसिक रूप की परेशानियां हैं, इनके लिए हम बहुत अच्छी तरह ट्रीटमेंट करते हैं, जिसमें दवाइयां बेहद महत्वपूर्ण होती हैं.
‘जागरूकता की कमी के चलते लोगों को होती है समस्या’
संदीप वोहरा ने कहा कि ऐसे लोगों में अधिकतर लोग वे होते हैं, जो जिंदगी से परेशान हैं, उनके साथ कुछ ऐसे हादसे हुए हैं या उनकी लाइफ कुछ ऐसी है कि कुछ चीजें उनके कंट्रोल में नहीं हैं. तो ये जितने भूत-प्रेत दिखाए जा रहे हैं, जितना बोला जा रहा है, यह सब इलाज योग्य मानसिक विकार हैं. गरीब आदमी के अंदर अवेयरनेस नहीं होती, वह डॉक्टर के पास पहुंच नहीं पाता. न ही उसे गाइड किया जाता है, तो उसके लिए ये सोच बन जाती है कि एक बाबा हैं, जिनको सब मान रहे हैं, वो जो कह रहे हैं, वो मान लो.
उन्होंने कहा कि लोग साइकेट्रिस्ट के पास छुपकर पहुंचते हैं, इस समस्या को टैबू माना जाता है, इसी चीज का कुछ लोग फायदा उठाते हैं. डॉ. संदीप वोहरा ने कहा कि वीडियो में ये जो चीख रहे हैं, ये सभी साइकेट्रिक डिसऑर्डर हैं.
वहीं इस मामले को लेकर मेंटलिस्ट मंगेश देसाई ने कहा कि चमत्कार के पीछे जाने की कई वजहें होती हैं. इनमें कुछ परेशान होते हैं, तो कुछ शॉर्टकट पाना चाहते हैं तो कुछ जिंदगी में चीजें बिगड़ने के डर की वजह से जाते हैं. ज्यादातर बीमारियां मेंटल होती हैं, जो विश्वास की वजह से ठीक हो जाती हैं.