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ग्लोबल वार्मिंग के चलते नैनीताल के मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है। अब पहले की अपेक्षा नैनीताल में ठंड कम होने लगी है। एक समय था जब नैनीताल में कड़ाके की ठंड के दौरान घोड़े को ठंड से बचने के लिए रम पिलाई जाती थी।

घोड़ा संचालक उमर बताते हैं कि ब्रिटिश काल के दौरान नैनीताल में घोड़ों को अंग्रेज शासक रम पिलाया करते थे और यह पद्धति भारतीय घोड़ा व्यापारी कई वर्षों तक अपनाते रहे। लेकिन अब ठंड का असर कम देखा जा रहा है और घोड़े को रम नहीं दी जा रही है।

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नैनीताल के बारापत्थर क्षेत्र में घोड़ा संचालक इन दिनों घोड़ों को ठंड से बचाने के लिए गुड़ व अजवाइन सरसों के तेल में मिलाकर खिला रहे हैं। साथ ही रात को ठंड से बचाने के लिए घोड़ों को कंबल ओढ़ाकर आग जलाकर गर्मी दी जा रही है। बता दें कि नैनीताल में कड़ाके की ठंड जानवरों के लिए भी मुसीबत बनी हुई है।

इधर नैनीताल के मुख्य पर्यटक स्थलों में से एक बारा पत्थर घोड़ा स्टैंड में घोड़ा संचालक अपने घोड़ों को ठंड से बचाने के लिए पूरे इंतजाम कर रहे हैं। घोड़ा संचालक अहमद व जलिश ने बताया कि वह इन दिनों वह ठंड से बचाने के लिए घोड़ों को गुड़, अजवाइन व सरसों खिला रहे हैं। वहीं रात को अस्तबल में घोड़ों को कंबल ओढ़कर रखते हैं। ज्यादा ठंड होने पर आग भी जलाई जाती है ताकि घोड़ों को गर्मी मिले। बताया कि नवम्बर से फरवरी तक घोड़ों के विशेष ध्यान देना होता है।

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ग्लोबल वार्मिंग के चलते नैनीताल के मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है। अब पहले की अपेक्षा नैनीताल में ठंड कम होने लगी है। एक समय था जब नैनीताल में कड़ाके की ठंड के दौरान घोड़े को ठंड से बचने के लिए रम पिलाई जाती थी। घोड़ा संचालक उमर बताते हैं कि ब्रिटिश काल के दौरान नैनीताल में घोड़ों को अंग्रेज शासक रम पिलाया करते थे और यह पद्धति भारतीय घोड़ा व्यापारी कई वर्षों तक अपनाते रहे। लेकिन अब ठंड का असर कम देखा जा रहा है और घोड़े को रम नहीं दी जा रही है।