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डीएम धीराज गर्ब्याल का कहना है कि अतिक्रमण हटाओ अभियान कांवड़ और स्नान की वजह से रोका गया था। कांवड़ मेला समाप्त होते ही अभियान शुरू किया जाएगा।

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उत्तराखंड सरकार का अतिक्रमण हटाओ अभियान का हरिद्वार जिले में मानो विराम लग गया हो। प्रशासन ने जहां इस अभियान को कांवड़ और स्नान के वजह से टाला हुआ है। वहीं, वन विभाग ने इस अभियान को अपने उच्च अधिकारियों के कारण ढीला किया हुआ है।

हरिद्वार सनातन तीर्थ नगरी में जहां मस्जिद बनाने की मनाही है, वहां अवैध रूप से मजारों का निर्माण कर दिए जाने के बाद साधु-संत समाज ने उत्तराखंड सरकार से इन्हें हटाने का निवेदन किया था, जिसके बाद प्रशासन ने दो-तीन मजारों को हटा भी दिया था, किंतु अब भी कई मजारें ऐसी हैं, जोकि अवैध रूप से बनाई गई हैं और यहां संदिग्ध लोगों का आना जाना लगा हुआ है। हरिद्वार रोशनाबाद जिला अदालत के भीतर मजार बनी हुई है। कोर्ट परिसर में बनी ये मजार सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद बनी हुई है। इसी तरह हरकी पैड़ी के ठीक ऊपर एक मजार अवैध रूप से बना दी गई, जिसपर श्री गंगासभा, तीर्थ पुरोहित, पंडा समाज ने भी एतराज उठाया था।

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ऐसी ही एक मजार गढ़ी पीर वाले की है और ज्वालापुर में भूरे शाह की मजार है, जिसमें बाकायदा बोर्ड लगाकर गुंबद के निर्माण के लिए पैसा एकत्र किया जा रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट का ये निर्देश है कि किसी भी धार्मिक स्थल के निर्माण या पुनर्निर्माण के लिए संस्था को जिला अधिकारी से अनुमति लेना अनिवार्य है और इसके लिए जमीनी दस्तावेज जरूरी है। बावजूद इसके यहां निर्माण हो रहा है।सरकारी राजकीय प्राथमिक विद्यालय के भीतर मजार बना दी गई, विचार की बात ये है कि स्कूल में बच्चे पढ़ने जाएंगे या फिर मजार में सजदा करने, स्कूल प्राचार्य द्वारा कई बार पत्र डीएम को भेजकर इसे हटाने का निवेदन भी किया गया है, लेकिन प्रशासन ने खामोशी की चादर ओढ़ रखी है।

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बहरहाल सनातन गंगा नगरी में अभी भी आठ अवैध मजारे हैं, जिनको लेकर स्थानीय हिंदू संगठन बराबर ये मांग करते रहे हैं कि इन्हें तत्काल हटाया जाए, किंतु प्रशासन इस मामले में व्यस्तता का बहाना देकर मुद्दे को टाल रहा है।

राजा जी टाइगर रिजर्व, हरिद्वार वन प्रभाग में भी हैं अवैध मजारें
जानकारी के मुताबिक हरिद्वार जिले में राजा जी टाइगर रिजर्व और राम नगर फॉरेस्ट डिवीजन में अभी भी दो दर्जन से अधिक अवैध रूप से बनी मजारे हैं, जिन्हें हटाने के लिए वन मुख्यालय से कई बार यहां के फॉरेस्ट अधिकारियों को कहा भी गया है, इसके बावजूद इनपर कोई कार्रवाई नहीं की गई। बताया जाता है कि यहां एक जनप्रतिनिधि के दबाव में ये अभियान टाला जा रहा है।

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क्या कहते हैं डीएम धीराज गर्ब्याल
अतिक्रमण हटाओ अभियान कांवड़ और स्नान की वजह से रोका गया था। कांवड़ मेला समाप्त होते ही अभियान शुरू किया जाएगा। फिलहाल बाहरी लोगों के सत्यापन का काम फिर से शुरू करवाया गया है। साथ ही अतिक्रमण भी चिन्हित किया जा रहा है। अभी हाईवे में बाधक एक मंदिर को भीं हटाया गया है।

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