AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह पार्टी का सबसे अहम चेहरा हैं. उनकी गिरफ्तारी से पार्टी को झटका लगा है. वह चुनावी राज्यों के अलावा पूर्वोत्तर और देश के दूसरे राज्यों में संगठन निर्माण में संदीप पाठक के साथ महत्वपूर्ण भूमिका रहे हैं. इतना ही नहीं, आम आदमी पार्टी में निर्णायक फैसले लेने में भी उनकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है.
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद की मुश्किलें बढ़ गई हैं. शराब घोटाले के मामले में 10 घंटे तक चली लंबी पूछताछ के बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया गया है. संजय सिंह की गिरफ्तारी एक्साइज जांच मामले में प्रमुख आरोपी दिनेश अरोड़ा के एजेंसी के गवाह बन जाने के बाद हुई है. संजय सिंह को गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी ने कहा कि जिसके सिर पर मां का आशीर्वाद हो, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. हर क्रांतिकारी को जेल देखनी होती है, आज संजय सिंह को भी यह सौभाग्य प्राप्त हुआ है. ना डरे थे, ना डरेंगे. अन्याय के खिलाफ लड़ते रहेंगे. वहीं सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि संजय सिंह की गिरफ़्तारी बिलकुल ग़ैर क़ानूनी है. ये मोदीजी की बौखलाहट दर्शाता है. चुनाव तक ये कई और विपक्षी नेताओं को गिरफ़्तार करेंगे.
मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद संजय सिंह ही आम आदमी पार्टी में अरविंद केजरीवाल के बाद दूसरे सबसे बड़े नेता थे. संजय सिंह आम आदमी पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी के सदस्य होने के साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश-बिहार में पार्टी की कमान उनके पास ही है. चुनावी राज्यों के अलावा पूर्वोत्तर और देश के दूसरे राज्यों में संगठन निर्माण में वो संदीप पाठक के साथ महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन में आम आदमी पार्टी का चेहरा और तालमेल रखने की जिम्मेदारी भी उनके पास ही है. पार्टी के हर फैसले में उनका दखल होने के साथ ही दूसरी पार्टियों के नेताओं के साथ मीटिंग में भी वह दिखाई देते हैं. इसके अलावा पार्टी के लिए चुनावी रणनीति, जमीनी समीकरण सेट करने में भी संजय सिंह का रोल बेहद अहम रहता है. कुछ पॉइंट्स से समझते हैं कि संजय सिंह की गिरफ्तारी AAP के लिए झटका क्यों हैं?
1- मनीष सिसोदिया के बाद सेकंड इन कमांड बने
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी को यह दूसरा सबसे बड़ा झटका लगा है. ये झटका पार्टी से ज्यादा ये AAP के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए है, क्योंकि मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद संजय सिंह ही केजरीवाल के सेकंड इन कमांड बन गए थे. पार्टी की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संजय सिंह के कंधों पर थी. पार्टी के अहम फैसलों में संजय सिंह की भूमिका होती थी.
2. हिंदी भाषी राज्यों में संजय सिंह को AAP ने आगे रखा
संजय सिंह यूपी के सुल्तानपुर से आते हैं. साल 2011 में वह दिल्ली में अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में शामिल हुए. नवंबर 2012 में जब आम आदमी पार्टी का गठन हुआ, तो वह मुख्य सदस्यों में से थे. राज्यसभा सदस्य संजय सिंह आम आदमी पार्टी के सबसे मुखर नेता माने जाते हैं. लिहाजा वह पार्टी की ओर से कई मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं. हिंदी भाषी राज्यों की राजनीति में संजय सिंह की सक्रियता साफ तौर पर नजर आती है. लिहाजा पार्टी भी उन्हें आगे रखती है.
3. यूपी के निकाय चुनाव में AAP ने संजय सिंह की बदौलत खाता खोला
इसी साल यूपी के निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अपना खाता खोला था. इसमें संजय सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी. पार्टी की रणनीति से लेकर सभाओं तक में संजय सिंह का रोल बेहद अहम था. आम आदमी पार्टी यूपी के गाजियाबाद, कौशांबी, फिरोजाबाद, बदायूं समेत कई जिलों में जीती थी. पिछले साल विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पार्टी खाली हाथ रही थी, लेकिन निकाय चुनाव में AAP ने जीत का स्वाद संजय सिंह की बदौलत ही चखा था.
4. INDIA गठबंधन में AAP का चेहरा और तालमेल की जिम्मेदारी
संजय सिंह आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. उनकी राजनीतिक समझ बहुत अच्छी है. पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने कांग्रेस सहित गैर-भाजपा दलों के साथ संबंध बनाए हैं. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के साथ-साथ उद्धव ठाकरे के साथ बैठकों में वह केजरीवाल के साथ जाते हैं. यह पार्टी के साथ-साथ विपक्षी नेताओं के बीच उनके कद का स्पष्ट संकेत है. विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA की हर बैठक में वह नजर आते हैं. विपक्षी नेताओं के साथ तालमेल बैठाने की जिम्मेदारी भी आम आदमी पार्टी की ओर से संजय सिंह के पास है.
5. संसद में अलग-अलग मुद्दे उठाने के लिए पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा
मणिपुर मुद्दा, हाथरस कांड, कोरोना, बेरोजगारी, अल्पसंख्यकों के मुद्दे, किसान आंदोलन और अडानी का मुद्दा… ऐसे कई मामलों पर संजय सिंह राज्यसभा में मुखरता से बोलते नजर आए हैं. उन्होंने हाल ही में राज्यसभा में मणिपुर का मुद्दा उठाया था. इसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था. वहीं, संजय सिंह ने अडानी का मुद्दे भी उठाया था. मतलब साफ है पार्टी की ओर से संसद में अलग-अलग मुद्दे उठाने के लिए संजय सिंह पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा हैं.