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अमेरिकी ऊर्जा विभाग (U.S. Department of Energy) ने दावा किया है कि कई दशकों से जारी कोशिश के बाद उन्होंने पहली बार न्यूक्लियर फ्यूजन (Nuclear Fusion) से ज्यादा एनर्जी हासिल करने में सफलता पाई है. इससे मिलने वाली ऊर्जा साफ-सुथरी और प्रदूषण रहित है. हालांकि इसके अभी लोगों तक पहुंचने में समय लगेगा. इससे उत्पन्न होने वाली बिजली सस्ती भी होगी. मिशिगन यूनिवर्सिटी (Michigan University) में न्यूक्लियर इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर कैरोलिन कुरंज ने बताया हमने फ्यूजन के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है.

न्यूक्लियर फ्यूजन क्या है?

बता दें कि न्यूक्लियर फ्यूजन (Nuclear Fusion) एक तरह की न्यूक्लिर प्रतिक्रिया है. इसमें दो परमाणु जुड़कर एक या एक से अधिक परमाणुओं का निर्माण करते हैं, जिनका द्रव्यमान थोड़ा कम होता है. इस प्रक्रिया में द्रव्यमान में अंतर को एनर्जी में बदल दिया जाता है. न्यूक्लियर के कुल द्रव्यमान की छोटी सी मात्रा को एनर्जी में परिवर्तित करने से काफी एनर्जी रिलीज होती है, इसे ही न्यूक्लियर फ्यूजन कहते हैं.

फ्यूजन इग्निशन कैसे होता है?

जान लें कि नेशनल इग्निशन फैसिलिटी (National Ignition Facility) के रिसर्चर्स ने पहली बार इस सामर्थ्य को प्रदर्शित किया. इसे फ्यूजन इग्निशन कहते हैं. इस एक्सपेरिमेंट में गोल्ड के कनस्तर में ट्रिटियम और ड्यूटेरियम के एक्स्ट्रा न्यूट्रॉन के संग हाइड्रोजन के दो मोलिक्यूल्स से बने फ्यूल के 1 मिमी पैलेट पर 192 लेजर को दागा गया.

सूर्य से 100 गुना ज्यादा गर्म ‘नकली सूरज’

गौरतलब है कि ये लेजर जब कनस्तर से टकराते हैं तो X-rays पैदा होती हैं जो फ्यूल पैलेट को शीशे के घनत्व से करीब 20 गुना यानी 30 लाख डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्म करती हैं. यह सूर्य की सतह से 100 गुना ज्यादा गर्मी है. अगर इन स्थितियों को लंबे वक्त तक बनाए रखा जाए तो फ्यूल फ्यूज हो जाएगा और एनर्जी रिलीज होना जारी रहेगा.

आपको बता दें कि फ्यूजन प्रतिक्रिया की सफलता का अनुमान लगाने के लिए, वैज्ञानिक फ्यूजन के प्रोसेस से रिलीज एनर्जी और लेजरों में एनर्जी की मात्रा के बीच का अनुपात निकालकर देखते हैं. इसी अनुपात को लाभ माना जाता है. जान लें कि नेशनल इग्निशन फैसिलिटी ने बीते 5 दिसंबर को 20 लाख जूल लेजर एनर्जी 15 मिनट के लिए उत्पन्न की थी. फिर यह बढ़कर 30 लाख जूल तक पहुंच गई थी.

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