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लोकसभा के लिए चुने गए चार में से तीन विधायकों की विधानसभा सीटों पर परिवारवाद का ही जोर चलेगा। सिर्फ एक तरारी पर सांसद के परिवार का दावा नहीं है।

माले में अपवाद के रूप में ही किसी विधायक के स्वजन को उम्मीदवार बनाया गया है। बाकी तीन पर सांसदों के स्वजन अगली कतार में हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) गया से सांसद चुने गए हैं। 2020 में वे इमामगंज से विधायक चुने गए थे। अबतक सिर्फ यह तय हो पाया है कि इमामगंज से मांझी परिवार का ही काेई सदस्य मोर्चा का उम्मीदवार होगा। मुश्किल, उम्मीदवार चयन को लेकर इसलिए हो रही है, क्योंकि परिवार के ही तीन सदस्यों की दावेदारी सामने आई है।

मजबूत दावेदारी दीपा मांझी की हैं। वह जीतनराम मांझी के पुत्र एवं राज्य सरकार के मंत्री संतोष मांझी की धर्मपत्नी हैं। इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय रहती हैं। संतोष के छोटे भाई प्रवीण मांझी का भी दावा है।

एक अन्य दावेदार हैं देवेंद्र मांझी। ये जीतनराम मांझी के दामाद हैं। परिवार के तीनों सदस्य मोर्चा की गतिविधियों में सक्रिय हैं। मांझी की समधिन ज्योती देवी भी मोर्चा की विधायक हैं।

सुधाकर सिंह की सीट पर भी दावेदारी मजबूत

तरारी के भाकपा माले विधायक सुदामा प्रसाद आरा से सांसद चुने गए हैं। इस सीट पर माले के किसी कार्यकर्ता को ही उम्मीदवार बनाया जाएगा। रामगढ़ के राजद विधायक सुधाकर सिंह बक्सर से सांसद चुन लिए गए हैं। उनके अनुज अजित कुमार सिंह की दावेदारी सबसे ऊपर है।

जदयू छोड़कर राजद में आए जगदानंद सिंह के बेटे

Bihar News अजित पहले जदयू में थे। एक महीना पहले उन्होंने जदयू छोड़ा। वे मंगलवार को राजद में शामिल हो गए।रामगढ़ विस क्षेत्र से जगदानंद सिंह छह बार चुनाव जीते हैं। उनके पुत्र सुधाकर सिंह 2020 में पहली बार विधायक बने। जहानाबाद के राजद सांसद डॉ. सुरेंद्र यादव बेलागंज से राजद के विधायक हैं।

वह भी परिवार के किसी सदस्य को उम्मीदवार बनाना चाहते हैं। सुरेंद्र यादव बेलागंज से आठ बार चुनाव जीत चुके हैं। लेकिन, वहां के लिए एक पूर्व विधायक की भी मजबूत दावेदारी है।