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देहरादून से खबर है कि उत्तराखंड सरकार ने राज्य के जंगलों को अवैध अतिक्रमण से बचाने के लिए डिजिटल मैपिंग का महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब वनों की सीमाओं को GIS तकनीक के माध्यम से डिजिटल रूप में सीमांकित किया जाएगा। इससे शिकायती विवाद खत्म होंगे और अवैध अतिक्रमण पर प्रभावी रोक लगाई जा सकेगी।

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वन विभाग ने इसके लिए SOP (स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स) तैयार कर ली है, जिसे शीघ्र ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा। यह पहल उत्तराखंड में पहली बार हो रही है, जिससे डिजिटल मैपिंग के माध्यम से जंगलों में स्पष्ट सीमाओं की पहचान हो सकेगी। पूर्व में ओडिशा जैसे राज्यों में भी वनों की डिजिटल मैपिंग हो चुकी है।

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वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि इस तकनीक से वनों में चल रहे अतिक्रमण को पहचानना तथा खत्म करना आसान होगा। पुराने अवैध अतिक्रमणों को भी चिन्हित कर हटाया जाएगा। इस कार्य में कैबिनेट की मंजूरी के बाद तेजी आएगी।

यह योजना राज्य में वनों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए अत्यंत प्रभावी साबित होगी और भविष्य में वन संपदा को बचाए रखने में मदद करेगी। इससे स्थानीय निवासियों और वन विभाग के बीच विवादों को भी कम किया जा सकेगा।

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यह पहल उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधनों के सतत संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो राज्य के विकास और पर्यावरण सुरक्षा में सहायक होगी।

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