आगामी लोकसभा चुनावों से पहले महिला मतदाताओं को लुभाए जाने की तमाम कोशिश के बावजूद, उत्तराखंड की वोटर लिस्ट में महिला मतदाताओं की हिस्सेदारी 47 प्रतिशत से आगे नहीं बढ़ पा रही है। प्रदेश का एक मात्र रुद्रप्रयाग ही ऐसा जिला है जहां महिला मतदाता की संख्या पुरुषों से अधिक है, दूसरी तरफ हरिद्वार में प्रति हजार पुरुषों के मुकाबले 891 महिलाएं ही वोटर बन पाई हैं।
प्रदेश सरकार लोकसभा चुनावों की आचार संहिता लगने से पहले महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए सभी जिलों में नारी शक्ति वंदन कार्यक्रम आयोजित कर चुकी है। इसके अलावा सरकार लखपति दीदी योजना, अंतोदय श्रेणी की 93 हजार महिलाओं को साल में तीन गैस सिलेंडर मुफ्त देने और उत्तराखंड की महिलाओं को सरकारी नौकरी में 30 फीसदी आरक्षण देकर भी महिला वोट बैंक पर खासकर ध्यान दे रही है।
दूसरी तरफ कांग्रेस भी नारी न्याय गारंटी योजना के जरिए गरीब परिवारों की महिलाओं को प्रति वर्ष एक लाख रुपए देने सहित कई घोषणा कर चुकी हैं। सियासी दलों की इन कोशिशों के विपरीत वोटर लिस्ट के आंकड़े अब भी महिलाओं के हक में गवाही नहीं दे रहे हैं। 2012 से महिला मतदाताओं की संख्या 47 प्रतिशत से आगे नहीं बढ़ पा रही है।
इस दौरान जबकि अब तक तीन बार विधानसभा और दो बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं, साथ ही अब 2024 लोकसभा चुनावों के लिए भी वोटर लिस्ट तैयार हो चुकी है। निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड की आबादी में प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की औसत संख्या 967 है, लेकिन वोटर लिस्ट में यह अनुपात और गिरकर 930 तक ही पहुंच पाया है।
महिला मतदाता
साल संख्या प्रतिशत
2024 3975134 47.68
2022 3761294 47.37
2019 3711220 47.79
2017 3602801 47.44
2014 3377939 47.38
2012 3024680 47.42
महिलाएं ही बन पाई हैं वोटर हरिद्वार में प्रति हजार पुरुषों के मुकाबले वोटर लिस्ट को लैंगिक रूप से भी स्वस्थ बनाने के लिए निर्वाचन अयोग महिला मतदाताओं के पंजीकरण पर विशेष जोर दे रहा है। खासकर 18 साल की उम्र पूरी करने वाली बालिकाओं के शत प्रतिशत नामांकन का प्रयास किया जा रहा है।
डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम, मुख्य निर्वाचन अधिकारी ,उत्तराखंड