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आरोपी है कि डॉक्टर ने अशंदान राशि के एवज में 8000 रिश्वत की मांग की थी। विजिलेंस ने जाल बिछाकर महिला अधिकारी को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया। एसपी विजिलेंस ने बताया कि आरोपी महिला अधिकारी को न्यायालय में पेश किया जाएगा।

विजिलेंस की टीम ने रिश्वत लेने के आरोप में डामटा की पशु चिकित्साधिकारी को गिरफ्तार किया है। महिला पशु चिकित्साधिकारी को नौगांव की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई थी। महिला चिकित्साधिकारी ने पशुपालन विभाग की योजना के तहत मिलने वाली अशंदान राशि के एवज में 8000 रिश्वत की मांग की थी। विजिलेंस ने जाल बिछाकर महिला अधिकारी को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया। एसपी विजिलेंस ने बताया कि आरोपी महिला अधिकारी को न्यायालय में पेश किया जाएगा।

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एसपी विजिलेंस रेनू लोहानी ने बताया कि नौगांव क्षेत्र के एक शिकायतकर्ता ने विजिलेंस कार्यालय में शिकायत की थी कि पशु चिकित्सालय नौगांव में तैनात पशु चिकित्साधिकारी डाॅ. मोनिका गोयल अनुसूचित जाति, जनजाति की महिलाओं (बीपीएल श्रेणी) के लिए बकरी पालन योजना के तहत मिलने वाली सरकारी अनुदान की अंशदान राशि का चेक देने के बदले 8000 रिश्वत की मांग कर रही है।

योजना के तहत लाभार्थी को कुल 70 हजार का अनुदान मिलना था। एसपी लोहानी ने बताया कि उक्त चिकित्साधिकारी ने लाभार्थी को पैसे लेकर बुधवार को उनके कार्यालय आने को कहा था। बुधवार को जैसे ही शिकायतकर्ता ने मोनिका गोयल के कार्यालय में पहुंचकर रिश्वत के पैसे दिए। वैसे ही विजिलेंस टीम ने मोनिका को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। एसपी ने बताया कि आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपी पशु चिकित्साधिकारी वर्ष 2011 से उत्तरकाशी जनपद में सेवाएं दे रही है।

होगी विभागीय कार्रवाई

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जनपद के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी बीडी ढौंडियाल ने कहा कि अभी उनके पास पुलिस की ओर से कोई सूचना नहीं मिली है। विभागीय तौर पर विधिवत सूचना मिलने पर विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी। डाॅ. मोनिका गोयल जनपद में 2011 से सेवाएं दे रही हैं। तब ही से उनके पास नौगांव की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी थी। वह मूल रूप से डामटा में तैनात हैं। बड़कोट के पशु चिकित्साधिकारी के अवकाश पर होने के कारण बड़कोट का प्रभार भी डाॅ. मोनिका के पास ही है।

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डॉक्टर की कार्यप्रणाली पर बीडीसी बैठक में भी उठाए गए थे सवाल
नौगांव की बीडीसी बैठक में डाॅ. मोनिका की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए थे। ब्लाॅक प्रमुख सरोज पंवार ने कहा कि उक्त पशु चिकित्साधिकारी निजी हित को देखते हुए पशुपालन विभाग की योजनाओं को क्षेत्र विशेष में बंदरबांट करती थीं। बैठक में सदस्यों ने यह भी आरोप लगाया था कि उक्त पशु चिकित्साधिकारी सरकारी योजनाओं की जानकारी भी नहीं देती थी।