लालकुआं। बिंदुखत्ता क्षेत्र के ग्रामीणों ने सोमवार को सामूहिक रूप से तहसील कार्यालय पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम तीन सूत्रीय मांग पत्र सौंपा। ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि यदि उनकी लंबे समय से लंबित मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।
ग्रामीणों की मुख्य मांगें
ज्ञापन के माध्यम से ग्रामीणों ने तीन प्रमुख मांगें रखीं—
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राजस्व गांव की अधिसूचना जारी की जाए।
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बिंदुखत्ता क्षेत्रवासियों को पंचायती राज व्यवस्था का लाभ दिया जाए।
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ग्रामीणों को बंदोबस्ती और मालिकाना हक दिलाने हेतु सर्वेक्षण प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाए।
वनाधिकार अधिनियम का हवाला
ग्रामीणों का कहना है कि वनाधिकार अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अंतर्गत जिला स्तरीय समिति तमाम औपचारिकताएं पूरी करके पत्रावली सचिवालय तक भेज चुकी है। इसके बावजूद बीते 9 महीने से राजस्व गांव की अधिसूचना जारी नहीं हुई है।
इस देरी से करीब 80 हजार प्रभावित लोगों में गहरा असंतोष व्याप्त है।
“तुरंत कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन तय”
ज्ञापन में चेतावनी दी गई कि यदि सरकार ने शीघ्र निर्णय नहीं लिया तो ग्रामीण बृहद आंदोलन करने को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि यह जनहित और अधिकारों से जुड़ा मुद्दा है, जिसे अब और टाला नहीं जा सकता।
ज्ञापन सौंपने पहुंचे ये रहे प्रमुख लोग
ज्ञापन सौंपने वालों में वनाधिकार समिति के अध्यक्ष अर्जुन नाथ गोस्वामी, महिला नेत्री संध्या डालाकोटी, बलवंत बिष्ट, श्याम सिंह रावत, भगवान सिंह माजिला, रमेश गोस्वामी, दौलत सिंह कोरंगा, हरीश नाथ गोस्वामी, सोहन सिंह कार्की, मोहन कुड़ाई, पुष्कर दानू, रमेश कुमार, प्रदीप बथ्याल, हीरा सिंह बिष्ट, चंदन बोरा, भुवन भट्ट, बसंत पांडे, पूरन सिंह परिहार, हरीश रौतेला, चंचल सिंह कोरंगा समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण और पूर्व सैनिक शामिल रहे।
👉 निष्कर्ष: बिंदुखत्ता ग्रामीण लंबे समय से राजस्व गांव का दर्जा और पंचायती राज व्यवस्था की मांग उठा रहे हैं। अब मामला राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर गरमाता जा रहा है। ग्रामीणों की चेतावनी को देखते हुए आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर बड़ा आंदोलन खड़ा हो सकता है।





