नैनीताल बैंक को फिर से निजी हाथों में सौंपने की सुगबुगाहट से नैनीताल बैंक आफिसर्स एसोसिएशन मुखर हो गया है। सड़कों पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन करने की चेतावनी दे डाली है लड़ाई सड़कों पर भी लड़ाई जाएगी जिसमें बेमियादी हड़ताल भी शामिल है। दरअसल राष्ट्रीय मीडिया में सूत्रों के हवाले से जानकारी सामने आई है कि बैंक आफ बड़ौदा नैनीताल बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेच रहा है।
नैनीताल बैंक को फिर से निजी हाथों में सौंपने की सुगबुगाहट से नैनीताल बैंक आफिसर्स एसोसिएशन मुखर हो गया है। सड़कों पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन करने की चेतावनी दे डाली है लड़ाई सड़कों पर भी लड़ाई जाएगी, जिसमें बेमियादी हड़ताल भी शामिल है। दरअसल, राष्ट्रीय मीडिया में सूत्रों के हवाले से जानकारी सामने आई है कि बैंक आफ बड़ौदा नैनीताल बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेच रहा है। हिस्सेदारी में खरीद के लिए चार-पांच निवेशकों ने रुचि दिखाई है। नैनीताल बैंक की स्थापना भारत रत्न गोविंद बल्लभ पंत सहित नैनीताल के जानेमाने लोगों ने की थी। इस बैंक की स्थापना का मकसद पहाड़ के लोगों को बैंकिंग सेवाएं मुहैया कराना था।
उत्तराखंड में हैं बैंक की सबसे अधिक शाखाएं
नैनीताल बैंक की सर्वाधिक शाखाएं भी उत्तराखंड में ही हैं। इसका मुख्यालय नैनीताल में ही है। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान में भी बैंक की शाखाएं हैं। नैनीताल बैंक में बैंक आफ बड़ौदा की 98.57 प्रतिशत हिस्सेदारी है। नैनीताल बैंक की 166 शाखाएं हैं। पांच राज्यों में बैंक के करीब एक हजार अधिकारी-कर्मचारी हैं।
बैंक को निजी हाथों में सौंपने की सुगबुगाहट के बाद शुक्रवार को नैनीताल बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी नैनीताल बैंक के प्रधान कार्यालय पहुंचे। बैंक के जीएम दीपक पंत व अन्य अधिकारियों से वार्ता की। उन्होंने प्रबंधन से इस मामले में जानकारी चाही।
15 दिन के भीतर स्थिति साफ करने की मांग
एसोसिएशन ने बैंक के प्रबंधन को अगले 15 दिन के भीतर स्थिति साफ करने की मांग की। बैंक प्रबंधन ने भरोसा दिया कि बाब के प्रबंधन से पत्राचार कर वस्तुस्थिति से अवगत कराने के साथ ही कर्मचारियों की भावनाओं से अवगत कराएगा।
यह लोग रहे मौजूद
एसोसिएशन ने चेताया कि अगर 15 दिन के भीतर समुचित जवाब नहीं मिला तो बैंक को बचाने की लड़ाई सड़कों पर लड़ी जाएगी। बैठक में नैनीताल बैंक आफिसर्स एसोसिएशन के महामंत्री पीयूष पायल, अध्यक्ष चंद्रशेखर कन्याल, चंद्र मोहन रावत, निशा कामत तथा महासचिव उत्तराखंड आल इंडिया बैंक आफिसर्स एसोसिएशन शैलेंद्र राजपाल उपस्थित थे।
नैनीताल बैंक को पहले भी निजी हाथों में दिए जाने की कवायद चली लेकिन कर्मचारी संगठनों के विरोध की वजह से बैंक आफ बड़ौदा के प्रबंधन को बैकफुट पर आना पड़ा।