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देहरादून: उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में राजनीतिक दलों के रण ने सभी सीटों को दिलचस्प बना दिया है. इनमें एक सीट ऐसी भी है, जो राजनीतिक दलों की लड़ाई से हटकर दो परिवारों की प्रतिष्ठा से जुड़ी है. खास बात ये है कि यह सीट देहरादून जिले की है. जिस पर राजधानी होने के नाते राजनीतिक दलों का भी खासा फोकस रहता है.

उत्तराखंड के 12 जिलों में पंचायतों के चुनाव को लेकर दिनोंदिन शोर बढ़ रहा है. पंचायतों में सीधा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के अलावा निर्दलीयों के बीच भी दिखाई देता है. हालांकि, जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर ज्यादातर सीटें राजनीतिक दलों के नाम ही रहती है.

देहरादून जिला पंचायत पर भी मुकाबला बेहद कड़ा होता है. हालांकि, यहां राजनीतिक दलों की सीधी टक्कर के रूप में लड़ाई नहीं देखी जाती. बल्कि, इस सीट पर रण दो परिवारों के बीच माना जाता है. यानी यह सीट दो परिवारों की प्रतिष्ठा से भी जुड़ जाता है.

चौहान परिवार आमने-सामने: देहरादून जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर आमने-सामने चौहान परिवार रहते हैं. एक परिवार बीजेपी से जुड़ा हुआ है तो दूसरे परिवार का इतिहास कांग्रेस के साथ जवाहर लाल नेहरू जी के समय से जुड़ा है.

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फिलहाल, मुन्ना सिंह चौहान बीजेपी के विधायक के रूप में इस परिवार का नेतृत्व कर रहे हैं तो वहीं प्रीतम सिंह कांग्रेस के विधायक हैं और वे लंबे समय से चकराता विधानसभा सीट पर अपनी जीत बरकरार रखे हुए हैं.

कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने अपने बेटे अभिषेक सिंह को मैदान में उतारा: वहीं, जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में देखें तो इस बार कांग्रेस के प्रीतम सिंह ने अपने बेटे अभिषेक सिंह को जिला पंचायत सदस्य के रूप में चुनावी मैदान में उतारा है.

इस तरह प्रीतम सिंह ने अपने 36 वर्षीय बेटे अभिषेक सिंह की राजनीतिक एंट्री पंचायत चुनाव के साथ करा दी है. साथ ही ये संकेत भी दे दिया है कि अब जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए इस बार कांग्रेस की तरफ से उनके बेटे पर ही दांव खेला जाएगा.

कांग्रेस पंचायत चुनाव में पूरी ताकत से चुनाव लड़ने जा रही है. मुझे विश्वास है कि इस बार कांग्रेस ही इन चुनावों में जीत हासिल करेगी.” -अभिषेक सिंह, प्रत्याशी जिला पंचायत सदस्य ़, कांग्रेस

विकासनगर विधायक मुन्ना सिंह चौहान की पत्नी मधु चौहान मैदान में उतरीं: उधर, दूसरी तरफ जिला पंचायत में मुन्ना सिंह चौहान की पत्नी मधु चौहान ने भी चुनाव के लिए पर्चा भर दिया है. जाहिर है कि मधु चौहान भी अध्यक्ष पद के लिए दावेदार हैं और भविष्य में कांग्रेस के प्रत्याशी के सामने उनका ही चेहरा होगा.

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दोनों ही परिवारों का रहा दबदबा: उत्तराखंड बनने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए इन दोनों ही परिवारों का दबदबा रहा है. इससे पहले कांग्रेस से प्रीतम सिंह के भाई चमन सिंह दो बार इस सीट पर अध्यक्ष रह चुके हैं. हालांकि, इस बार प्रीतम सिंह ने अपने भाई चमन सिंह की जगह अपने बेटे को मैदान में उतारा है.

दूसरी तरफ मुन्ना सिंह चौहान की पत्नी मधु चौहान भी देहरादून जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में दो बार जीत हासिल कर चुकी हैं. साल 2003 में पहली बार कांग्रेस के चमन सिंह अध्यक्ष बने थे. इसके बाद साल 2008 में मुन्ना सिंह चौहान की पत्नी मधु चौहान अध्यक्ष रहीं.

फिर अगले चुनाव 2014 में चमन सिंह ने जीत हासिल की तो साल 2019 में मधु चौहान ने अध्यक्ष पद कब्जा लिया था. इस तरह दोनों ने बड़ी-बड़ी दो बार इस पद पर जीत हासिल की है. इस तरह से दोनों ही चौहान परिवार आमने-सामने रहते आए हैं.

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इस सीट पर जीत का ये है मिथक: देहरादून जिला पंचायत अध्यक्ष को लेकर एक स्थिति ये भी है कि इस सीट पर उसी प्रत्याशी ने कब्जा बनाए रखने में कामयाबी हासिल की है, जिसकी राज्य में सरकार रही है. इस लिहाज से देखा जाए तो इस बार देहरादून जिला पंचायत अध्यक्ष सीट पर मधु चौहान का दबदबा दिखाई देता है.

“इस सीट पर 10 साल तक महिला सशक्तिकरण से लेकर विकास कार्यों को आगे बढ़ाया है. ऐसे में मुझे पूरी उम्मीद है कि जनता इस बार उन्हें मौका देगी.”- मधु चौहान, प्रत्याशी जिला पंचायत सदस्य, कांग्रेस

इस बार मुकाबला इसलिए भी रोचक है. क्योंकि, एक तरफ 10 साल तक इस सीट पर अध्यक्ष के कमान संभालने वाली मधु चौहान बीजेपी की तरफ से फिर से अध्यक्ष पद की दावेदार हो सकती है तो वहीं दूसरी तरफ अब तक के समीकरण ये स्पष्ट कर रहे हैं कि कांग्रेस की तरफ से पहली बार राजनीतिक रूप से चुनावी मैदान में एंट्री करने वाले अभिषेक सिंह दावेदार होंगे.